Book Title: Prakrit Vidya 02
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 207
________________ द्वारा लिखित है। स्थायी पता—वर्द्धमान अपार्टमेंट, मयूर विहार, फेस-1, दिल्ली 16. डॉ. अरविंद महाजन—पुरातत्त्व के क्षेत्र में विशेषरूप से प्रतिष्ठित डॉ. अरविन्द महाजन संप्रति पटना संग्रहालय में कार्यरत हैं। आपकी पुरातात्त्विक और ऐतिहासिक लेखन में विशेष प्रतिष्ठा है। इस अंक में प्रकाशित वैशाली : जन्मभूमि महावीर की' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। 17. डॉ. जयदेव मिश्र—प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्त्व के सुप्रतिष्ठित विद्वान् डॉ. जयदेव मिश्र पटना विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्त्व विभाग में कार्यरत हैं। आपकी लेखनी से प्रसूत वर्द्धमान और वैशाली : संस्कृत साहित्य के सन्दर्भ में' शीर्षकआलेख इस अंक का अलंकरण है। 18. डॉ. शांति जैन संस्कृत साहित्य, जैनदर्शन एवं इतिहास आदि क्षेत्रों की अच्छी विदुषी डॉ. शांति जैन ज्ञाननगरी आरा के जैन कॉलेज में संस्कृत विभाग में रीडर हैं। इस अंक में प्रकाशित 'सर्वमान्य है महावीर की जन्मस्थली वैशाली' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है। 19. मिश्रीलाल जैन एडवोकेट- अशोकनगर (म.प्र.) के मूलनिवासी आप जैनसाहित्य के क्षेत्र से सुपरिचित हस्ताक्षर हैं। इस अंक में प्रकाशित 'कुन्दकुन्द वचनामृत' का 'हिन्दी पद्यानुवाद' आपके द्वारा रचित है। । स्थायी पता–पुराना पोस्ट ऑफिस रोड, गुना-473001 (म.प्र.)। 20. विद्यावारिधि डॉ. महेन्द्र सागर प्रचंडिया आप जैनविद्या के क्षेत्र में सुपरिचित हस्ताक्षर हैं, तथा नियमित रूप से लेखनकार्य करते रहते हैं। इस अंक में प्रकाशित 'यह द्वादशांग का चिंतन है' नामक कविता के रचयिता आप हैं। स्थायी पता-मंगल कलश, 394, सर्वोदय नगर, आगरा रोड़, अलीगढ़-202001 (उ.प्र.) 21. प्रो. (डॉ.) शशिप्रभा जैन—आप श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली-110016 में शिक्षाशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष एवं आधुनिक ज्ञान-विज्ञान संकाय की प्रमुख हैं। प्राकृतभाषा एवं भारतीय इतिहास की आप अच्छी विदुषी हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख सम्राट अशोक के शिलालेखों में उपलब्ध महावीर परम्परा के पोषक तत्त्व' आलेख आपके द्वारा लिखित है। ___ स्थायी पता—प्रोफेसर्स फ्लैट, श्री ला.ब.शा. राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली-110016 22. डॉ० उदयचंद जैन—सम्प्रति सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर (राज.) में प्राकृत विभाग में वरिष्ठ रीडर हैं। प्राकृतभाषा एवं व्याकरण के विश्रुत विद्वान् एवं सिद्धहस्त प्राकृत कवि हैं। इस अंक में प्रकाशित 'प्राकृत-साहित्य महावीर का धर्मदर्शन' शीर्षक लेख आपकी लेखनी से प्रसूत हैं। स्थायी पता—पिऊकुंज, अरविन्द नगर, ग्लास फैक्ट्री चौराहा, उदयपुर-313001 (राज.) 23. डॉ. सुदीप जैन श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में 'प्राकृतभाषा विभाग' में उपाचार्य एवं विभागाध्यक्ष हैं। तथा प्राकृतभाषा पाठ्यक्रम के संयोजक भी हैं। अनेकों पुस्तकों के लेखक, सम्पादक । प्रस्तुत पत्रिका के 'मानद सम्पादक' । इस अंक प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक 10 205 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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