Book Title: Prakrit Vidya 02
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 193
________________ किया। फिर आप सम्पणानन्द विश्वविद्यालय, वाराणसी में 'कुलसचिव' के रूप में कार्यरत हुये। तदुपरान्त दिल्ली विश्वविद्यालय के 'संस्कृत विभाग' में 'प्रोफेसर' के पद पर नियुक्त हुये। इस पद के सुदीर्घ-अनुभव के बाद आप श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली के 'कुलपति' पद पर सुशोभित हुये। आपके निर्देशन में शताधिक छात्र-छात्रायें शोध-उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। अनेकों ग्रन्थों के यशस्वी-लेखक, वाणीभूषण, सुयोग्य-प्रशासक एवं अनेकों प्रतिष्ठित-पुरस्कारों से विभूषित डॉ. उपाध्याय को संस्कृतभाषा एवं साहित्य-विषयक राष्ट्रपति-प्रशस्ति मिलने के सुअवसर पर 'प्राकृतविद्या-परिवार' की ओर से हार्दिक बधाई व अभिनंदन। –सम्पादक ** प्रो. (डॉ.) श्रीधर वशिष्ठ जी को संस्कृतभाषा-विषयक राष्ट्रपति-सम्मान श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली के 'कुलपति' पद पर सुशोभित रहे प्रो. (डॉ.) श्रीधर वशिष्ठ इस विद्यापीठ की स्थापनाकाल से निरन्तर इसके साथ जुड़े रहे। स्वनामधन्य डॉ. मण्डन मिश्र जी के अनन्य-सहयोगियों में प्रमुख स्थान प्राप्त प्रो. वशिष्ठ जी इस विद्यापीठ के 'शिक्षा-शास्त्र महामहिम राष्ट्रपति जी से प्रशस्ति-ग्रहण करते हुए प्रो. (डॉ.) श्रीधर वशिष्ठ विभाग' में 'आचार्य' एवं विभागाध्यक्ष रहे, तथा इसी विद्यापीठ के 'कुलसचिव' पद को भी आपने सुशोभित किया। ... आप संस्कृतभाषा एवं साहित्य के उत्कृष्ट विद्वान् एवं सक्रिय, समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। प्रो. (डॉ.) श्रीधर वशिष्ठ को संस्कृतभाषा एवं साहित्य-विषयक राष्ट्रपति-प्रशस्ति मिलने के सुअवसर पर 'प्राकृतविद्या-परिवार' की ओर से हार्दिक अभिनंदन । --सम्पादक** प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक 00 191 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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