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कृपा से दीर्घायु, महात्मा, वीर्यशाली और धार्मिक हुये"
इक्ष्वाकोस्तु प्रसादेन सर्वे वैशालिका नृपाः ।
दीर्घायुषो महात्मानो वीर्यवन्त: सुधार्मिका: ।। वैशाली में ही देवों और दानवों ने समुद्र-मंथन की मन्त्रणा की थी। यहीं 'दिति' की तपस्या का वर्णन है, और इन्द्र को मारनेवाले पुत्र दिति' की तपस्या का विफल होना भी वर्णित है।
पुराणों में वैशाली के लिए विशाल, विशाला तथा वैशाली -ये तीन नाम दिये गये हैं। 'विष्णुपुराण' के मत में राजा विशाल इक्ष्वाकुवंश के 'तृणबिन्दु' राजा के पुत्र थे। इस बात की पुष्टि 'भागवतपुराण' से भी होती है। वाराहपुराण, नारदीयपुराण, मार्कण्डेय-पुराण, श्रीमद्भागवत तथा सूत्रकृतांग में भी इस सन्दर्भ का विस्तृत उल्लेख मिलता है। ___ वैशाली में अनेक विभूतियाँ उत्पन्न हुई। उनमें वर्द्धमान महावीर भी थे, जिनकी प्रभा आज भी चमत्कृत कर रही है। साक्ष्यों से विदित है वैशाली के कुण्डग्राम (पुर) में इनका जन्म हुआ था। इसलिए महावीर का एक और नाम था वैशालिक' और उनकी जननी त्रिशला का दूसरा नाम था विशाला' । कुण्डग्राम को कोल्लाग' या 'नायकुल' कहा जाता था। यह ज्ञातृकों का घर था। उसी वैशाली में महावीर का जन्म हुआ था। महावीर को वैशाली का 'जिन' कहा जाता है। इस सम्बन्ध में 'सूत्रकृतांग' की शीलांकाचार्य की टीका (2.3) द्रष्टव्य है
विशाला जननी यस्य विशालं कुलमेव च ।
विशालं वचनं चास्य तेन वैशालिको जिनः ।। अर्थात् जिनकी माता विशाला हैं, जिनका कुल विशाल है, जिनके वचन विशाल हैं, इससे 'वैशालिक' नामक जिन हुए।
'भागवतपुराण' में तो स्पष्ट उल्लेख है कि 'विशालो वंशकृद्राजा वैशाली निर्ममे पुरीम् ।' यानि विशाल राजा ने वंश की वृद्धि करनेवाला वैशाली नगर' बसाया। ___ महान् चिन्तक शंकराचार्य ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ में, नगरों की सूची में वैशाली की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। यथा :--
विशाला कल्याणी स्फुटरुचिरयोध्या कुवलयैः, कृपाधारा धारा किमपि मधुराभोगवतिका । अवन्तिर्दृष्टिस्ते बहुनगरविस्तारविजया,
धुवं तत्तन्नामव्यवहरणयोग्या विजयते।। आचार्य शंकर के अनुसार 'विशाला' नगरी कल्याणकारी और सब तरह से गुणयुक्त है।
संस्कृत-साहित्य में न केवल वैशाली की विस्तृत-चर्चा है, बल्कि वर्द्धमान महावीर की जन्मभूमि कुण्डग्राम' का भी उल्लेख अनेक ग्रन्थों में है। पूज्यपाद ने अपने ग्रन्थ 'दशभक्ति'
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प्राकृतविद्या जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक
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