Book Title: Prakrit Vidya 02
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 51
________________ सर्वमान्य है महावीर की जन्मस्थली वैशाली -डॉ. शान्ति जैन वैशाली के नामकरण से आज भले ही कितनी ही आपत्ति उठायी जाये, किन्तु यह स्पष्ट सत्य है कि भगवान् महावीर की जन्मभूमि कुण्डपुर-कुण्डग्राम' या 'कुण्डलपुर' विदेहक्षेत्र में स्थित होने के कारण वस्तुत: वैशाली से पर्याप्त सामीप्य रखती है। इसी तथ्य को आधुनिक भारतीय एवं विदेशी मनीषियों की मान्यताओं के परिप्रेक्ष्य में विदुषी लेखिका ने इस आलेख में भली-भाँति स्पष्ट किया है। –सम्पादक अनेकानेक साक्ष्यों के आधार पर इसे निर्विवाद-सत्य माना जा सकता है कि भगवान् महावीर की जन्मस्थली 'वैशाली' ही है। जैन-साहित्य में ऐसे उद्धरण भरे पड़े हैं, जिनमें महावीर की जन्मभूमि वैशाली' को बताया गया है। - वैशाली का इतिहास राजनीतिक दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण है ही, किन्तु यहीं बौद्धसंघ की संगीति हई थी और यहीं चौबीसवें तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर का जन्म हुआ था, इसलिए यहाँ की धरती अत्यन्त पुनीत एवं महिमामयी है। प्राचीन मतों के अतिरिक्त हम आधुनिक विद्वानों के मतों पर भी दृष्टि डाल सकते हैं। - सन् 1945 ई. में आयोजित 'प्रथम वैशाली महोत्सव' में अपने विचार प्रकट करते हुए डॉ. राधाकुमद मुखर्जी ने कहा था "Vaishali first emerges into history as the birthplace of the great leader of Jainism Vardhamana Mahavira, the 24th of the Jain Tirthankaras, Mahavira was born in one of the three distircts of Vaisali, known as Vaisali proper, Kundagrama of Kundpura and Vanijyagrama. The centre of the Kundagrama was a place called Kalliaga, described as Naya-Kula, the home of the people called Imatrikas of whom Mahavira was born. Therefore Mahavira known as vesalie, Vaisalika in the Sutrakritang, the first citizen of Vaisali." तत्कालीन राज्यपाल महामहिम श्रीमाधव श्रीहरि अणे ने 'चतुर्थ वैशाली-महोत्सव' में 21 अप्रैल, 1948 को कहा था Just outside Vaisali lay the Suburb Kundagrama-probably surviving in प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक 1049 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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