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1953, पृष्ठ 951 7. काम्बोज सुराष्ट्र क्षत्रिय श्रेण्यादयो वार्ताशस्त्रोपजीविन: लिच्छिविक-वृजिक-मल्लक-कुकुर
पाञ्चालादयो राजशब्दोपजीविनः । 8. बी०ए० सालेतोर-ऐंशियेंट इण्डियन पोलिटिकल थौट एण्ड इन्स्टीट्यूशंस (1963) पृष्ठ 509 । 9. बी०सी० ला-हिस्टोरिकल ज्योग्रैफी ऑफ ऐंशियेंट इण्डिया, फाइनेंस में प्रकाशित (1954), पृष्ठ
2661 10. वही, पृष्ठ 266-67। 11. झल्लो मल्लाश्च राजन्या: व्रात्यानि लिच्छिविरेवधो नटश्च करणश्च खसो द्रविण एव च। 12. भरतसिंह उपाध्याय, वही, पृष्ठ 33। 13. री डेबिड्स (अनुवाद), बुद्ध-सुत्त (सेक्रिड-बुक्स ऑफ ईस्ट-भाग 11, मोतीलाल बनारसीदास,
देहली पृष्ठ 2-3-4)। 14. पालि-पाठ राधाकुमुद मुखर्जी के ग्रन्थ 'हिन्दू सभ्यता' (अनुवादक—डॉ० वासुदेव शरण ___ अग्रवाल), द्वितीय संस्करण 1958 पृष्ठ 199-200 से उद्धृत । नियम-संख्या मैंने दी है। 15. वही, पृष्ठ 6-7। 16. देखिए श्री भरतसिंह उपाध्याय-कृत 'बुद्धकालीन भारतीय भूगोल' (पृष्ठ 385-86) का
निम्नलिखित उद्धरण ("संयुक्त निकाय पृष्ठ 308 से उद्धृत)। “भिक्षुओ ! लिच्छवि लकड़ी के बने तख्ते पर सोते हैं। अप्रमत्त हो, उत्साह के साथ अपने कर्तव्य को पूरा करते हैं। मगधराज वैदेही-पुत्र अजातशत्रु उनके विरुद्ध कोई दाव-पेंच नहीं पा रहा है। भिक्षुओ ! भविष्य में लिच्छवि लोग बड़े सुकुमार और कोमल हाथ-पैर वाले हो जायेंगे। वे गद्देदार बिछावन पर गुलगुले तकिए लगाकर दिन चढ़े तक सोये रहेंगे। तब मगधराज वैदेहि-पुत्र
अजातशत्रु को उनके लिए दाँव-पेंच मिल जायेगा।" 17. तस्य निचकालं रज्जं कारेत्वा वसंमानं येव राजन सतसहस्सानि सतसतानि तत्र च। राजानो
होंति तत्त का, ये व उपराजाओं तत्तका, सेनापतिनो तत्तका, तत्तका भंडागारिका। J.I.S.O.4. 18. नोच्च-मध्य-वृद्ध-ज्येष्ठानुपालिता, एकैक एव मन्यते अहं राजा, अहं राजेति, न च ___ कस्यच्छिष्यत्वमुपगच्छति। 19. वैशाली-नगरे गणराजकुलानां अभिषेकमंगलपोखरिणी-जातक 4/148 । 20. डॉ० ए०एस० अल्तेकर-प्राचीन भारत में राज्य एवं शासन (1958), पृष्ठ 112-113 । 21. गृहे-गृहे तु राजानः, महाभारत, 2/15/2। 22. वाजपेयी, अम्बिका प्रसाद, हिन्दू राज्यशास्त्र, पृष्ठ 104 । 23. “तेन रयो पन समयेन राजा मागधो सेनियो बिम्बसारो असीतिया नाम सहस्सेषु इस्सराधिपच्च
राजं करोति ।"
श्री भरतसिंह उपाध्याय द्वारा उद्धृत, वही, पृष्ठ 169। 24. वही, पृष्ठ 95-961 25. वही, पृष्ठ 106 पर उद्धृत ।
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प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक For Private & Personal Use Only
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