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'मोदगिरि' के नाम से उल्लेख किया गया है, जो कि बाद में अंग-देश से मिला दिया गया था अर्थात् प्राचीन ऐतिहासिक युग में यह स्थान विदेह में न होकर अंग-देश अथवा
मोदगिरि-अन्तर्गत था। इसलिये भगवान् की जन्मभूमि यह स्थान नहीं हो सकती। 2. आधुनिक क्षत्रियकुण्ड पर्वत पर है, जबकि प्राचीन क्षत्रियकुण्ड के साथ शास्त्रों में पर्वत
का कोई वर्णन नहीं मिलता। वैशाली के आसपास क्योंकि पहाड़ नहीं है, इसलिये भी
वही स्थान भगवान् का जन्मस्थान अधिक सम्भव प्रतीत होता है। 3. आधुनिक क्षत्रियकुण्ड की तलहटी में एक नाला बहता है, जो कि गण्डकी नहीं है।
गण्डकी नदी आज वैशाली के पास बहती है। 4. शास्त्रों में क्षत्रियकुण्ड को वैशाली के निकट बताया है, जबकि आधुनिक-स्थान के
निकट वैशाली नहीं है। 5. विदेह-देश तो गंगा के उत्तर में है, जबकि आधुनिक क्षयित्रकुण्ड गंगा के दक्षिण में है।
इससे स्पष्ट है कि भ्रांतिवश लिच्छआड़ के निकट पर्वत के ऊपर के स्थान को क्षत्रियकुण्ड मान लिया गया है। यहाँ भगवान् का कोई भी कल्याणक-गर्भ, जन्म और दीक्षा नहीं हुआ।
शास्त्रों के अनुसार हमारी यह सम्मति है कि जो स्थान आजकल बसाढ़' नाम से प्रसिद्ध है, वही प्राचीन वैशाली है। इसी के निकट क्षत्रियकुण्ड ग्राम था, जहाँ भगवान् के तीन कल्याणक हुए थे। इसी स्थान के निकट आज भी वणियागाँव, कूमनछपरागाछी और कोल्हुआ मौजूद हैं। आजकल यह क्षत्रियकुण्ड स्थान वासुकुण्ड नाम से प्रसिद्ध हैं। पुरातत्व विभाग भी वासुकुण्ड को ही प्राचीन क्षत्रियकुण्ड मानता है। यहाँ के स्थानीय लोग भी यही समझते हैं कि भगवान् का जन्म यहीं हुआ था।
-(श्रवण 261, में प्रकाशित वैशाली' नामक लेख, पृ. 46-47) ___पं. कल्याणविजय गणि और आचार्य विजयेन्द्र सूरि जी महाराज के उपर्युक्त निष्कर्ष से यह स्पष्ट है कि भगवान् महावीर का जन्म विदेह-देशस्थ कुण्डपुर, जो वैशाली के समीप है, में हुआ था, लिछुआड़ (मुंगेर-अंगदेश) या कुण्डपुर (नालन्दा-मगध) देश में नहीं।
जैन, बौद्ध और वैदिक परम्परा के शास्त्रों में अंग, मगध और विदेह स्वतन्त्र देश बतलाये गये हैं। बृहत्कल्पसूत्र वृत्ति, प्रज्ञापनासूत्र, सूत्रकृतांग, टीका, प्रवचनसारोद्धार सोलह महाजनपदों में भी इनका नामोल्लेख पाया जाता है। आदिपुराण में भी इनका पृथक्-पृथक् उल्लेख है। अत: यह स्पष्ट हो जाता है कि प्राचीन समय में ये तीनों स्वतन्त्र देश रहे हैं। वर्तमान बिहार अंग, मगध और विदेह इन तीनों प्राचीन देशों का संयुक्त रूप हे, केवल विदेह का नहीं। यहाँ उक्त तीनों देशों (जनपदों) की सीमाओं के विषय में विचार करते हैं। __ अंग जनपद की सीमाओं के विषय में डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री का यह कथन द्रष्टव्य है"चम्पेय जातक (506) के अनुसार चम्पानदी अंग-मगध की विभाजक प्राकृतिक सीमा थी,
प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक
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