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४०६
४१२
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४०८
वायवी धारणा वारुणी धारणा तत्त्वभू धारणा पदस्थ ध्यान रूपस्थ ध्यान रूपस्थ ध्यान का परिणाम रूपातीत ध्यान ध्यान का क्रम मनोजय के संदर्भ में अनुभूतिमूलक निरूपण विक्षिप्त एवं यातायात मन श्लिष्ट तथा सुलीन मन शुक्ल-ध्यान : उत्कर्ष : भेद
पृथक्त्त्व-श्रुत-सविचार ४०६
एकत्व-श्रुत-अविचार ४०७
सूक्ष्म-क्रिया-अप्रतिपाति ४०७
समुच्छिन्न-क्रिया-अप्रतिपाति केवली के साथ ध्यान का संबंध अयोगी के साथ ध्यान का संबंध शुक्ल-ध्यान की फल-निष्पत्ति
केवली की उत्तर क्रिया ४१० ।। और समुद्घात
समुद्घात का विधि-क्रम ४११ || योगों का सर्वथा निरोध ४१२ / सार-संक्षेप
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००
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सप्तम अध्याय सिद्धत्वोपलब्धि, ब्रह्मसाक्षात्कार एवं परिनिर्वाण
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जीवन का चरम साध्य शुद्धोपयोग से सिद्धत्व शुद्धात्मा की अबद्धावस्था ज्ञानावरणादि का अभाव : सिद्धत्व का सद्भाव सिद्धत्व का निरुपाधि ज्ञान, दर्शन और सुख (शुद्ध भाव की आराधना
४२० सिद्धों का वैशिष्ट्य
सिद्ध एवं ब्रह्म : तुलना-समीक्षा | जैन श्रुत-परम्परा की अनादिता
वेदों की अपौरुषेयता ४२४ ब्रह्म का स्वरूप
लीलाकैवल्य का स्पष्टीकरण ४२५ स्वरूपावबोध : ब्रह्मसाक्षात्कार ४२६ जीवन्मुक्ति : विदेहमुक्ति
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