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છેદશાસ્ત્રઃ જેનાગમ નવનીત પ્રશસ્તિ
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जैनागम नवनीत पर प्रशस्ति आसु कवि पंजाबी चंदनमुनि
खंड एक से लेकर के, आठों ही हमने पाया है, जैनागम नवनीत देखकर, मन न मोद समाया है । ॥१॥ पंडित रत्न तिलोक मुनिवर, इसके लेखक भारे है,
जैन जगत के तेज सितारे, जिनको कहते सारे है । ॥२॥ उनकी कलम कला की जितनी, करो प्रशंसा थोडी है, इनको श्रेष्ठ बनाने में कुछ, कसर न इनने छोडी है । ॥३॥ जिन्हें देखकर जिन्हें श्रवण कर, कमल हृदय के खिलते है,
जैनागम विद्वान गहनतर, उनसे कम ही मिलते है । ॥४॥ हमें हर्ष है स्थानकवासी, जैन जगत में इनको देख, कहने में संकोच नहीं कुछ, अपनी उपमा है वे अक। ॥५॥ गीदडवाहा मंडी में जो, पंजाबी मुनि चंदन है, उनका, इनके इन ग्रंथो का, शत शत शत अभिनंदन है । ॥६॥
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