Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूधरदास :
सज्जन दुर्जन वर्णन 414, कामी 406, अन्ध पुरुष 406, दुर्गतिगामी जीव 406, कुकवियों की निन्दा 407, कुलीन की सहज विन्रमता 407, महापुरुषों का अनुसरण 407, पूर्व कर्मानुसार फल प्राप्ति 408, पूर्व पापोदय में धैर्य धारण का उपदेश 406, होनहार दुर्निवार 408, काल सामर्थ्य 409, राज्य और लक्ष्मी 410, मोह 410, भोग एवं तृष्णा 410, देह 411, संसार का स्वरूप एवं समय की बहुमुल्यता 412, अवस्थाओं का वर्णन एवं आत्महित की प्रेरणा 413, राग और वैराग्य का अन्तत्व वैराग्य कामना 415, अभिमान निषेध 417, धन के संबंध में चिन्तन, धनप्राप्ति भाग्यानुसार 417, मन की पवित्रता 418, हिंसा का निषेध 418, सप्त व्यसन निषेध 419,
मिष्ट वचन की प्रेरणा 420, मन रूपी हाथी का वर्णन 420 अष्टम अध्याय
हिन्दी संत साहित्य में भूधर साहित्य का मूल्याकंन 423-435 सन्त शब्द का अर्थ 423, सन्त परम्परा 425, सन्त मत पर अन्य प्रभाव या सन्त मत के आधार 425, साहित्य-असाहित्य का निर्णय 426, सन्त काव्यादर्श 426,
सन्त साहित्य की विशेषताएँ-समानताएँ 428, असमानताएँ 432 नवम अध्याय उपसंहार : भूधरदास का योगदान
437-444 (क) उपसंहार
437 (ख) भूधरदास का योगदान
440 परिशिष्ट
445-455 (क) सन्दर्भ ग्रंथ सूची
445 (ख) पत्र-पत्रिकाओं की सूची
452 (ग) शोधोपयोगी-सामग्री प्राप्ति में सहयोगी ग्रंथालयों की सूची 454 (घ) दातारों की सूची
455-456
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