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"खट खट खट खट खट" की आवाज के साथ पांच मस्तक शरीर से पृथक करके पाण्डवों से बदला लेकर द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा पाण्डवों के तम्बू से यह सोचता हुअा कि आज मैंने पांचों पाण्डवों को मार डाला है—बाहर चला पाया और अपने तम्बू में चला गया।
प्रातःकाल होते ही बिजली की भाँति यह खबर सारे नगर में फैल गई । द्रौपदी ने जब देखा कि मेरे पाँचों पुत्रों को गुप्त रूप से आकर कोई मार गया है तो उसके हृदय में गहरी वेदना हुई, वह क्रोध से तमतमा उठी। ___ युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव जैसे शक्तिशाली पतिदेवों के संरक्षण में रहते हुए भी मेरे एक दो नहीं पूरे पाँचों पुत्रों की कोई व्यक्ति हत्या कर जाए, यह मेरे लिए बड़ी शर्म की बात है। यदि उस हत्यारे को किसी भी तरह आज ही पकड़ कर मेरे सम्मुख न लाया गया तो मैं भी अपने प्राण त्याग दूंगी। इसप्रकार पतियों को सम्बोधित करते हुए बोली। ____ यह सुनते ही तथा युधिष्ठिर का इशारा पाते ही अर्जुन और भीम दोनों जाकर अश्वत्थामा को पकड़ लाये। बोले-यही है, अपने पुत्रों का हत्यारा । कहो, इसे क्या दण्ड दें ।
अश्वत्थामा को जंजीरों के बन्धन से जकड़े हुए द्रौपदी ने ज्यों ही देखा कि उसका क्रोध नौ दो ग्यारह हो गया, शान्ति की धारा-सी बहती हुई उसके अन्तःकरण से निस्सृत हुई, प्रेम भरे दिल में क्षमा-भाव जागृत हो गया। उसकी वाणी में—'यह हत्यारा जरूर है, किन्तु मैं एक माँ हूँ । पुत्रहीनता का दुःख कैसा होता है इसे एक माँ ही अच्छी तरह से समझ सकती है, मैं पुत्र-वियोग के सन्ताप को जैसा अनुभव कर रही हूँ वैसा इसकी माँ को क्यों होने दूँ ? मेरे पुत्रों के स्थान पर इस हत्यारे की हत्या करवा देने से मेरे पुत्र तो जीवित नहीं होने वाले हैं तब क्यों मैं अपने समान पुत्र विरह के शोक में इसकी माँ को डुबाऊँ ।'
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