Book Title: Maa
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Mahima Lalit Sahitya Prakashan

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Page 98
________________ ८७ शिकायत रहती है कि कार्य तो बहुत करने हैं पर समयाभाव है। कई काम जो महत्वपूर्ण होते हुए भी समयाभाव के कारण नहीं कर पाते । प्रमाद से कई बार हम महत्वपूर्ण लाभों से वंचित रह जाते हैं। यद्यपि व्यक्ति अपने किसी न किसी कार्य में लगा ही रहता है चाहे वह आवश्यक हो अथवा अनावश्यक । अतः ध्यान रखो___ "जिन्दगी जब तक रहेगी, फरसत न होगी काम से । कुछ समय ऐसा निकालो, प्रेम करलो माँ से ॥" क्योंकि "प्रेम बसन्त समीर है,द्वेष ग्रीष्म की ल ।” (प्रेमचन्द,सेवासदन) किसी ने "प्रेम इस लोक का अमृत है" कहा, तो सुदर्शन ने "प्रेम स्वर्गीय शक्ति का जादू है, इसमें पड़कर राक्षस भी देवता बन जाता है'' प्रादि कहा था। यदि अंग्रेज लेखक स्वेटमार्टन ने "प्रेम ही असन्तोष रूपी महान व्याधि की रामबाण औषधि है। प्रेम ही द्वष ईर्ष्या ग्रादि दुर्गुणों का उपशामक है” आदि कहा तो जाने पहचाने जर्मन महाकवि जे० डब्लू ० बी० गेटे ने "प्रेम में स्वर्गीय आनन्द और मृत्यु की सी यंत्रणा है किन्तु जो करता है वही सुखी और भाग्यवान है" इत्यादि कहा। हिन्दी के शीर्षस्थ उपन्यास-शिल्पी प्रेमचन्द ने 'प्रेम सात्विक करो। प्रेम और वासना में उतना ही अंतर है जितना कंचन और कांच में।" और "सच्चा प्रेम सेवा से प्रकट होता है"। यह महात्मा गांधी आदि ने कहा। पर आजकल व्यक्ति थोड़ा भी पढ़ लिख लेता है तो वह स्वयं को वतूर और योग्य समझने लगता है। इस अहंकार के मारे जब माँ को हीन समझता है तव औरों की तो बात ही क्या ? वह विस्मृत कर बैठता है अहंकार मनुष्य का सबसे बढ़ा शत्रु है । ___ क्रोधो मूलम् अनर्थानाम् ।" "Pride goes before and shame follows after." __ अंग्रेजी की इस कहावत में भी यही कहा जाता है-पहले गर्व चलता है, उसके बाद कलंक आता है। और इसके विपरीत“समणस्स जणस्स पिनो णरो, प्रमाणी सदा हवदि लोए। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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