Book Title: Maa
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Mahima Lalit Sahitya Prakashan

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Page 85
________________ ७४ श्रवण कुमार ने जब पानी में अपना तुम्बा डुबाया, तब उससे जो कलकल की ध्वनि निकली । उसे सुन कर राजा ने समझा कि कोई हाथी जल पी रहा है। उन्होंने शब्दबेधी बाण छोड़ दिया। अनुमान के आधार पर छोड़ा गया बाण जाकर श्रवण कुमार की छाती में लगा । नौर वह चीख मारकर गिर पड़ा तथा कराहने लगा राजा वह शब्द सुनकर वहाँ पहुंचे तो देखा कि एक वल्कलधारी निर्दोष युवक भूमि पर पड़ा है। उसने महाराज को देखकर कहा"राजन् ! मैंने तो आपका कभी कोई अपराध किया नहीं था; आपने मुझे क्यों मारा ? मेरे माता-पिता दुर्बल तथा अंधे हैं । उनके लिए मैं यहाँ जल लेने आया था, वे मेरी प्रतीक्षा करते होंगे प्राss उन्हें..................उन्हें क्या पता कि मैं मैं यहाँ इस प्रकार पड़ा हूं मुझे अपनी मृत्यु का" "अपनी मृत्यु का कोई कोई दुःख नहीं; किन्तु मुझे अपने माता " मा माता-पिता के लिए बहुत दुःख है । आप ss...... "आप उन्हें जाकर यह समाचार सुना दें और ss और जल पिलाकर उनकी प्यास शान्त शान् "शान्त करें । "नाss' महाराज दशरथ शोक से व्याकुल हो रहे थे । श्रवण ने उन्हें अपने माता-पिता का पता बताकर आश्वासन दिया - " आपको ब्रह्महत्या नहीं लगेगी । मैं ब्राह्मण नहीं, वैश्य हूं । पर मुझे बड़ा कष्ट हो रहा है । ऊहss'''। आप यह अपना बाण मेरी छाती से निकाल दें।' I 11 बाण निकलते ही व्यथा से तड़पते हुए श्रवण कुमार के प्राण पखेरू उड़ गये । राजा दशरथ पश्चात्ताप करते हुए जल के पात्र को सरयू के जल से भरकर श्रवण के माता-पिता के पास पहुंचे । राजा दशरथ ने दुःख से भरे हुए कण्ठसे किसी प्रकार अपने अपराध का वर्णन किया । वृद्ध दम्पत्ति पुत्र के मरने की बात सुनकर अत्यन्त व्याकुल हो गये । राजा अपने कंधे पर उन दोनों को मृत शरीर के पास लाया । उसी समय राजा ने देखा कि कुमार श्रवण माता-पिता की सेवा के रचन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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