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मंत्री श्रीमती भण्डार नायके, इस्राइल की गोल्डा मेयर, इंगलैंड की श्रीमती मारग्रेट थ्रेचर इत्यादि ने यह सिद्ध कर दिया है कि नारी पुरुष से कम नहीं अपितु उससे अग्रणी है। ___ भारत सरकार ने सन् १९७५ में अन्तर्राष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया था। श्रीमती विजय लक्ष्मी पण्डित को अन्तर्राष्ट्रीय संघ की सभा का सभापति चुना गया था। परन्तु उस वर्ष में भी नारी के लिए कोई विशेष कार्य नहीं हुए।
वस्तुतः नारी का दायित्व पुरुष की अपेक्षा अधिक है । वह उदार हृदया है । इसलिए मनुके युग में कहा गया था “यत्र नार्यास्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः" । जिस घर में नारी की पूजा होती है उस घर में देवता निवास करते हैं। वह स्थान स्वर्ग बन जाता है। नारी को घर की लक्ष्मी कहा गया है। वह घर की शोभा है। उसी से घर है। जिस घर में नारी की इज्जत नहीं वह घर अवनति की अोर चला जाता है। "We should wish for others as we wish for our selves." तभी घर स्वर्ग कहलाने योग्य है । मैं तो माँ को पिता की अपेक्षा अधिक गौरवमयी एवं पूज्य मानता हूँ। ___ और "एक नहीं दो-दो मात्राएँ,
नर से बढ़ कर नारी ॥” (मैथिलीशरण गुप्त) स्व द्वारा कथित शब्दों को पिता अाज विस्मृत कर बैठा है। जिसके अभाव में पुरुष अपूर्ण है, उसी को अाज हेय और उपेक्षणीय बना दिया है । पग-पग पर उसके प्रति अविश्वास और छल किया जाता है । दहेज कम लाने पर उसे यातनाएँ दी जाती हैं और जिन्दा जला दिया जाता है। मेरी समझ में नहीं आता कि मनुष्य नारी को न जलाकर दहेज प्रथा को ही क्यों न जला दें ? दहेज-प्रथा को काष्ठ के टुकड़े समझ कर दहेज को होली जला दो। यदि दहेज की समस्या नहीं है तो घर के काम-काज खाना-पकाना इत्यादि में छोटी-छोटी त्रुटि पर भी उसे पीटा जाता है-यह कहकर कि नमक
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