________________
११
दर्द को विस्मृत कराती है । इधर वाली सूने में मिली थी और उधर वाली पूने में मिली थी ।
यद्यपि आपने तो माँ के उपकार का ईमान विक्रय कर दिया है पर पढ़कर हैरान मत होइये मेरे पास अन्य माँ भी है, पल दो पल रुकिये द्रष्टव्य कराता हूँ, आप पढ़ने के इच्छुक हो तो कलम चलाता हूँ, डिजाइनें अनेक हैं । अरर आप तो बुरा मान गये ।
"नहीं ।"
बुरा नहीं माने तो दिल्लगी समझ गये तभी तो खैर ! लेकिन मेरे विभिन्न रिश्ते नाते हैं जो आपको उत्तमोत्तम लगें स्वीकार कर लीजिए | क्योंकि मेरे जीवन को सुवासित करने वाली माँ ही है । " तोहि मोहि नाते अनेक मानिए जो भावे । "
वाह ! वाह ! माँ ! जीवन के लिए है, जीवन में प्रविष्ट होने के लिए है ! सेवा के लिए है ! अनिष्ट निवारण के लिए है ! अनिष्ट पलायन के लिए ही नहीं आत्मानुभूति के लिए भी है । माँ ! तू ही खरेखर नारी है ।
1
प्रश्न होता है विश्व के प्रत्येक इन्सान पर खान-पान से लेकर जन्म-मरण और संयोग-वियोग से लेकर सुख-दुःख व चलने-फिरने आदि प्रत्येक क्रिया में इस महान नारी माँ की क्या देन है ?
.
उपर्युक्त का विश्लेषण करने से पूर्व माँ की उपलब्धियों पर दृष्टिपात करते हैं तो अवगत होता है कि माँ की महिमा अपरिमित, असीम, अवर्णनीय और शब्दातीत है ।
जन्म के पश्चात जीवन को सुवासित करने के लिए जो विशुद्ध क्रिया जिसके द्वारा की जाती है उसका ही नाम माँ है । फ्रेञ्च सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट को कहना पड़ा
"The future destiny of the child is always the work of the mother."
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org