Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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महाकवि निराला के पात्र पूरे परिवेश व उनकी सामाजिकता को उजागिर करते हैं। चाहे वह कथा साहित्य हो, उपन्यास हो, कहानी हो, रेखाचित्र हो या कविता, अपने पात्रों को गढ़ते समय वे न केवल पात्रों के चरित्र का उदात्तीकरण करते हैं, वरन् वे अन्याय, शोषण व रूढियों के खिलाफ मानवीय मूल्यों के उस धरातल पर चारित्रिक गरिमा के साथ उनके पूरे व्यक्तित्व को उभारकर प्रस्तुत करते
हैं।
निराला काव्य की रचना भाव मनोवैज्ञानिक चित्रण है। मन के आवेग, मन की निराशा, मन की खिन्नता अनेकानेक भाव जो तिरोहित होते हैं, उन भावों से प्रतीत होता है कि कवि ने मनोवैज्ञानिक शैली में राम के मानसिक धरातल का विश्लेषण किया हैं। निराला ने कभी बन्धन स्वीकार नहीं किया चाहे वह मर्यादापुरूषोत्म राम के मर्यादित चरित्र का हो, वे जीवन के किसी भी क्षेत्र में निरर्थक बन्धन की बात नहीं करते, राम का मर्यादित स्वरूप, शान्त व गम्भीर व्यक्तित्व साहित्यकारों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहा, परन्तु 'राम की शक्ति-पूजा' में राम को सहज मानव के रूप में प्रतिष्ठित करने का कान्तिकारी चरण निराला ने अपने व्यक्तित्व के अनुरूप उठाया था, निराला के राम का अन्तर्द्वन्द और आवेश देखने योग्य है:
"धिक जीवन जो पाता ही आया विरोध धिक् साधना जिसके लिए सदा ही किया शोध जानकी हाय उद्धार प्रिया का हो न सका वह एक और मन रहा राम का जो न थका
जो नहीं जानता दैन्य जो नहीं जानता विनय"।' अपने सम्पूर्ण साहित्य में निराला एक छाया की भॉति छाए रहते हैं। उनके साहित्य को पढ़कर ऐसा लगता है मानों निराला स्वयं इन विभिन्न पात्रों के माध्यम से कभी दीन-हीन दलित-वर्ग के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हैं, कभी समाज में
1. 'राम की शक्ति पूजा' - अनामिका-निराला रचनावली भाग-2-पृष्ठ-239