Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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नवजागरण का आह्वान इस काव्य के माध्यम से करना चाहता है। कवि कहता है कि ये विप्लव के बादल! तुम बारबार गरजते हो अथवा मुसलाधार वर्षा करते हो, यानी सामन्ती समाज को चुनौती कवि अपने आवेग-पूर्ण काव्य के माध्यम से देना चाहता है। तुम्हारे घोर और भयंकर गर्जन को सुनकर और मुसलाधार वर्षा से त्रस्त्र होकर संसार के प्राणी अपना हृदय थाम लेते हैं अर्थात भय से सिहर उठते। तुम वीरों के समान अपना मस्तक ऊपर को उठाए हुए उन सैकड़ो पर्वत पर बिजलियाँ गिराकर अचल शरीरों को विदीर्ण कर देते हैं जो ऊँचाई और धैर्य में आसमान के बराबरी काव्य करने वाले होते हैं। संबंधित काव्य के माध्यम से कवि ने बादल की तुलना तत्कालीन अंग्रेजी शासक से किया है। कवि कहता है कि 'बादल' की तरह धीरे-धीरे कवि ने पूरे सामाजिक परिवेश व वातावरण को चूसा है।
___ छायावादी काव्य में यद्यपि प्रसाद, पन्त, निराला एवं महादेवी सभी ने आत्मानुभूति को वाणी दी तथा निराला का स्वर ओजस्वी रहा, 'बादलराग' लिखने वाले निराला के स्वर में बादल की गुरूगर्जना अवश्य हुई है कवि को वह गर्जना स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ती है :
"झूम-झूम मृदु गरज-गरज घनघोर! राग-अमर! अम्बर में निज रोर! झर-झर-झर निर्झर-गिरि-सर में, घर, मरू, तरू-मर्मर, सागर में, सरित्-तड़ित-गति-चिकत पवन में, मन में विजय गहन-कानन में, आनन-आनन में, रव-घोर-कठोर
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