Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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प्रकृति का मानवीकरण :
'बसन्त आया' शीर्षक कविता मे कवि निराला ने बसन्त ऋतु का मानवीकरण किया है जिसके कारण राग और सौन्दर्य का अदभुद सामंजस्य पैदा हो गया है:
"किसलय-बसना नव-वय-ललिता मिली मधुर प्रिय-उर तरू पतिका मधुप-वृन्द बन्दी
पिक-स्वर नभ सरसाया। इन पंक्तियों में कवि का प्रकृति-प्रेम अभिव्यक्त है। प्रकृति पर चैतन्यारोपण करके प्रकृति का आलम्बन रूप में सजीव-वर्णन है। प्रकृति में नारी का दर्शन करके संयोग श्रृंगार की व्यंजना की गयी है कोमलकान्त पदावली का माधूर्य द्रष्टव्य है।
निराला का मन कभी-कभी समाजवादी विचार धारा में रमा है 'बेला' और 'नये पत्ते' की कविताओं में इनकी ध्वनि बराबर निकलती रही हकवि निराला ने व्यक्तिगत् सम्पत्ति का निषेध करते हुए उस पर देश के नियंत्रण का निवेदन किया है :
"सारी सम्पत्ति देश की हो, सारी आपत्ति देश की बने
जनता जातीय वेश की हो xxx
भेद कुल खुल जाय वह सूरत हमारे दिल में है
1. (प्रिय) यामिनी जागी : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ – 253
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