Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University

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Page 175
________________ मधुर-योजना की है तो वहीं दूसरी ओर भाषा में लाक्षणिक प्रयोग भी खूब किया है। निराला की कविता लय, संगीत-मय भाषा का अप्रतिम उदाहरण है। निराला ने कहीं-कहीं शब्दों के बल पर ऐसा भाव चित्र प्रस्तुत किया है कि वर्णनात्मक वस्तु मानों उपस्थित हो गयी हो। कुल मिलाकर हम कह सकते है कि भाषा पर निराला का पूर्ण अधिकार था। चाहे वह सामासिक प्रधान राम की शक्ति-पूजा' हो 'तुलसीदास' हो या 'बुद्ध के प्रति' आदि पर लिख रहे हों या सरल व्यवहारिक भाषा में 'वह तोड़ती पत्थर', 'भिक्षुक' इत्यादि कविताएं लिख रहे हों या अलंकृत भाषा के रूप में 'यमुना के प्रति', 'प्रेयसी' जैसी कविताओं को उद्धृत कर रहे हों। भाषा एवं शब्दों की प्रवाहपूर्णता में कहीं कोई अवरोध नहीं दिखता, कहीं-कहीं तो मानो भाषा इनकी चेरी सदृश्य दिखती है। 171

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