Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University

View full book text
Previous | Next

Page 169
________________ के हरामीपन को संवेदनात्मक स्तर पर उजागर करता है। भाषा का ऐसा अभिजात्य प्रयोग स्वयं निराला के यहाँ ही विरल है । प्रकृति में नारी का आरोपण : प्रकृति पर अपनी भावनाओं का आरोपण प्रायः सभी कवियों ने किया है। मनुष्य के लिए मनोवैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि नारी सुन्दरतम् पदार्थ है । प्रकृति के ऊपर नारीत्व की भावना का आरोप करके उसकी कोमलता और सुष्टता का परिचय प्रायः सभी कवियों ने दिया है। निराला ने तो मानो शब्द - चित्र ही लिख दिया है। 'सन्ध्या-सुन्दरी' इस खण्ड की सर्वश्रेष्ठ चित्र है-भाषा और भाव दोनों दृष्टियों से : "दिवावसान का समयः मेघमय आसमान से उतर रही है। वह सन्ध्या सुन्दरी परी -सी; धीरे-धीरे -धीरे । X X X अलसता की सी लता; किन्तु कोमलता की वह कली । सखी नीरवता के कन्धे पर डाले बाँह; छाँह - सी अन्दर पथ से चली । "" कवि निराला ने 'सन्ध्या-सुन्दरी' की इन पंक्तियों में सन्ध्या अपनी मंथरता, गंभीरता, नीरवता अलसता में निराले ढ़ंग से चित्रित हो उठी है फिर उसकी यह निरवता धीरे- धीरे, जगती तल में अमल कमलिनी दल में, 1. सन्ध्या-सुन्दरी : निराला रचनावली भाग ( 1 ) – पृष्ठ 165 - 77

Loading...

Page Navigation
1 ... 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187