Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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सम्पन्न कलाकार है जिसमें ऐसे सूक्ष्म अर्थ-व्यंजक बिम्बों की कमी नहीं है जो अपनी सहजता में अनुपम है।
निराला का बिम्बगत् वैशिष्टयः
__ तुलसी कविता में रत्नावली का भाई जब उसे लिवाने आता है तब वह अपनी ओर से पितृ-गृह के सभी जनों का सन्देश कहता है। पिता और भाभी का संदेश यों है :
"बोले बापू योगी रमता मैं अब तो; कुछ ही दिन को हूँ कूलद्रूम। छू लो पद फिर, कह देना तुम;
बोली भाभी लाना, कुंकुम शोभा को।" इन पंक्तियों में कुलद्रुम से वृद्धावस्था का वह जर्जर रूप सामने आ जाता है जो नदी तट के वृक्ष समान चाहे जब काल की धारा का ग्रास हो सकता है तो 'कुंकुम शोभा' में रत्नावली की चारित्रिक निष्कलंकता और नारी सुलभ गरिमा की व्यंजना होती है।
निराला की छन्दगत् मौलिकता :
___ निराला छन्दों के गुरू थे। उन्होंने छन्दों के जो बहुविध प्रयोग अपने काव्य में किए हैं, वे उन्हें शत-प्रतिशत मौलिक सिद्ध करते हैं। गीतों में काव्य और संगीत का समन्वय करके उन्होंने एक अभिनव परम्परा का सूत्रपात किया तो प्रगीतों में उन्होंने रसानुकूल छन्दों को ग्रहण किया और स्वछन्द छन्द का आविष्कार किया। 'तुलसीदास' में चौपाई छन्द को आधार बनाकर एक नये छन्द
1. तुलसीदास : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ - 284 2. उपरिवत् ।
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