Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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हैं। साथ ही साथ यह कहते हैं कि हमें आपकी वीरता, आपकी निष्ठा पर कोई शक नहीं, लेकिन भला बताओ कि क्या तुम उन फिरंगियों के इशारे पर भारत माँ के वीर सपूतों की लाशें बिछाओगे। यदि नहीं तो अब भी कुछ बिगड़ा नहीं तुम घर वापस आ जाओ।
"वीरता की गोद
मोद भरने वाले शूर तुम
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मोगलों को तुम जीव दान ।। "
कवि निराला के इस पूरे काव्य में देश-भक्ति मुखर है, कलंक कालिमा का भय दिखाकर जयसिंह को अपने घर वापस लौट आने की प्रेरणा महाकवि की काव्य कुशलता का एक सुन्दर नमूना हैं यहाँ पैरों के प्राण .......एवं जीवन दान एक दूसरे के विरोधाभाषी है।
महाकवि निराला के मन में यमुना को देखकर यमुना के समस्त अतीत एवं उसकी गौरव गाथा जागृत हो उठती है वह कथाओं का सार लेकर इस कविता की सृष्टि करते हैं यहाँ कवि यमुना को सम्बोधित करता है:
"आप आ गये प्रिय के कर में;
कह किसका वह कर सुकुमार;
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कहाँ आज तक चितवन चेतन;
श्याम - मोह - कज्जल अभियुक्त ? 2
कवि की नायिका अतीत को याद कर रही है कवि भी नायिका के माध्यम से अतीत पर अपनी मजबूत पकड़ रखने के साथ ही वर्तमान मे नई
1. शिवाजी का पत्र : निराला रचनावली भाग ( 1 ) : पृष्ठ 2. 'यमुना के प्रति निराला रचनावली भाग ( 1 ) : पृष्ठ
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