Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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महाकवि निराला की 'यमुना के प्रति कविता' भाषा प्रवाहता का उदाहरण प्रस्तुत करती है।:
"यमुने तेरी इन लहरो में; किन अधरों की आकुल तान, पथिक- प्रिया -सी जगा रही है; उस अतीत के नीरव-गान? बता कहाँ अब वह बंशीवट? कहाँ गये नटनागर श्याम? चल चरणों का व्याकुल पनघट;
कहाँ आज वह वृन्दाधाम? ।।" यमुना का देखकर कवि के मन में उससे संबंधित समस्त अतीत जागृत हो उठता है, यहाँ अतीत के प्रेम कवि के राष्ट्र-प्रेम एवं सांस्कृतिक प्रेम का द्वैतक हैं। कवि को यमुना की लहरों में पथिक प्रिया की भाँति कवि के अतीत की स्मृतियों का मादक कौन रूप द्रष्टव्य है। साथ ही साथ निराला की भाषा का प्रवाह देखते ही बनता है।
निराला की तुलसीदास कविता नारी के विद्रोहात्मक रूप के उदात्त-स्वरूप का तथा भाषा-प्रवाह और वाक्य विन्यास की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कविता है:
"बिखरी छूटी शफरी-अलकें; निण्यात नयन-नयन नीरज पलकें। भावातुर पृथु उर की छलकें उपशमिता; निः सम्बल केवल ध्यान मग्न ।
1. 'यमुना के प्रति' : निराला रचनावली भाग (1)- पृष्ठ - 115
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