Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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भावित नयनों से सजल गिरे दो मुक्ता-छल ।" यहाँ कवि निराला द्वारा शक्तिशाली राम को सामान्य मानव की तरह मनोवैज्ञानिक उलझन में फँसाना, फिर पत्नी सीता से अपनी बेबसी का इजहार करना, मानवीकरण का सुन्दर चित्र कवि ने खींचा है। उड़े ज्यों देवदूत, ज्यों पतंक में उपमालंकार है।
'मानवीकरण' :
जहाँ किसी उपमा या प्रकृति एव रूपक का सहारा लेकर अप्रत्यक्ष रूप से मानव-समाज की तरफ इंगित की जाए वही मानवीकरण है।
महाकवि निराला प्रकृति के कोमल रूप के साथ-साथ उसकी कठोरता को उदघाटित किया है।
"तिरती है समीर-सागर पर; अस्थिर सुख पर दुःख की छाया।
ताक रहे हैं ऐ विप्लव के बादल!
फिर-फिर।" यहाँ कवि बादल के प्रलयकारी रूप का वर्णन करता है कवि यहाँ प्रलयकारी बादल से जन-जागरण का आह्वान करता है सच तो यह है कि उपरोक्त पूरे छन्द में महाकवि ने प्रकृति का मानवीकरण कर दिया है।
महाकवि निराला ने 'जूही की कली' नामक कविता में सिर्फ नायिका के ही अन्तर्मन व बहिर्मन का चित्र नहीं खींचा है, अपितु वह नायक के मनः स्थिति को भाँपने में भी सफलता पायी है तभी तो निराला का नायक बिना समय का
1. राम की शक्ति-पूजा : निराला रचनावली भाग (1)-पृष्ठ-331 2. बादल-राग भाग -6 : निराला रचनावली भाग एक-पृष्ठ -77
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