Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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देकर, लेकर सर्वस्व प्रिया का सुकृत मान।।" कवि निराला यमुना को देखकर उससे अतीत से संबंधित समस्त भाव जागृत हो उठते हैं। कवि यमुना को सम्बोधित करते हुए कहता है कि
"जागृति के इस नव जीवन मे किस छाया का माया-मन्त्र गूंज-गूंज मृदु खींच रहा है
अति दुर्बल जन का मन-यन्त्र?"2 ___ उपर्युक्त काव्य मे प्रकृति के माध्यम से रहस्य भावना की अभिव्यक्ति है गूंज-गूंज में पुर्नरूक्ति प्रकाश झलकता है।
कवि निराला 'स्मृति' का मानवीकरण करके मन के भावों का सजीव चित्रण करते हैं मानव अपने अतीत की बातें याद कर उसकी 'स्मृति' में ऐसा खो जाता हैं मानों सारे वातावरण में एक नदीरूपी झरना कल-कल ध्वनि से बहता हुआ कोई संगीत की धुन निकाल रहा हो और वह उसी में खोया हुआ हों।
"जटिल जीवन-नद में तिर-तिर; डूब जाती हो तुम चुप चाप।
सुप्त मेरे अतीत के गान,
सुना, प्रिय हर लेती हो ध्यान! कवि निराला ने 'स्मृति' का अर्थ समझाते हुए कहते हैं कि तुम मेरे सोये हुए अतीत के गीतों को सुनकर मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लेती हो अर्थात् 'स्मृति' का आगमन होते ही मुझे सब पुरानी बातें याद हो जाती है। यहाँ 'तिर-तिर' व 'फिर-फिर' में पुनरूक्ति अलंकार है।
1. वन-वेला-निराला रचावली भाग एक:पृष्ठ-346 2. यमुना के प्रति : निराला रचनावली भाग (1) : पृष्ठ - 115 3. स्मृतिः निराला रचनावली भाग एक : पृष्ठ:140
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