Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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मध्य भाग में, अंगद दक्षिण- श्वेत सहायक ।""
बंग्ला रामायण में एक सौ आठ कमल से दुर्गा पूजा करने का प्रस्ताव है । विभीषण कहते है कि रावण के समान शक्ति उपासना करके आप भी महाशक्ति को अपने वश में कर लो जाम्बवान कहते हैं शक्ति का सिंह है, आप भी पुरूषों में सिंह है । आप भी अपने ऊपर शक्ति को धारण करें, फिर तो बुराई का सर्वनाश सुनिश्चित है यहाँ महाकवि का इशारा है कि आराधना का आराधना से ही उत्तर दिया जा सकता है। यानी महामायावी रावण को उसी के छल-रूपी ज्ञान से पराजित किया जा सकता है। यहाँ कवि यह स्पष्ट करना चाहता है कि जब पापी रावण उपासना के दम पर शक्ति का सहयोग प्राप्त कर सकता है तो आप उपासना के सिद्ध पुरूष हीं है । यहाँ महाकवि अपने इस काव्य के माध्यम से यह जन-मानस को संदेश देते हैं कि आराधना का दृढ़ आराधना से दो उत्तर यदि फिर भी बुराई नष्ट न हो तो जैसे को तैसा के मार्ग पर चलना चाहिए। यानी 'सठे - साठ्यम् समाचरे ! की नीति पर चलकर बुराई पर विजय प्राप्त करो और जनता को मुक्ति दिलाओं, यहाँ कवि ने अपने राम से बुराई पर विजय दिलाने में सफलता भी प्राप्त की है । कवि ने एक अनुभवी एंव बुजुर्ग पात्र के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि तामसी शक्ति की अपेक्षा सात्विक शक्ति कहीं अधिक प्रभावकारी होती है। पाठक और श्रोता को इस काव्य को पढ़ने पर उनमें सिर्फ आवेग ही उत्पन्न नहीं होता बल्कि रोमांच भी उत्पन्न होता है। निराला द्वारा बुजुर्ग जाम्बवान द्वारा व्यूह रचना करके एवं युद्ध वर्णन को सजीवता प्रदान करके मानों समूचे काव्य को ही नया आयाम दिया है, महाकवि ने अपने काव्य में मानों बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए समूचे देशवासियों का आह्वान किया है।
1. 'राम की शक्ति-पूजा' : द्वितीय अनामिका : निराला रचनावली भाग (1) पृ0-335, रचना 23 अक्टूबर 1936
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