Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University

View full book text
Previous | Next

Page 118
________________ कवि निराला अपने राम को पुरूषों में सिंह के समान सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि आप भी शक्ति की उपासना करो! वे अपने राम को उलझन से उबारते हुए कहते हैं कि जब अन्याय का प्रतीक रावण अपने तप के बल से महाशक्ति का सहयोग प्राप्त कर सकता है तो आप तो सदैव न्याय के सद्मार्ग पर चलते हैं। स्वाभाविक है कि तामसी शक्ति की अपेक्षा सात्विक शक्तियाँ कही अधिक प्रभावशाली है। यहाँ निराला जी अमर्ष भाव के माध्यम से राष्ट्र को संम्बोधित करते है। महाकवि निराला अपने काव्य में अतीत का समावेश करते हुए उसे वर्तमान से जोड़ने का सफल प्रयास किया है। इसी प्रकार महाराज जयसिंह के नाम 'शिवाजी का पत्र' का काव्यमय अंकन है। यहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज जयसिंह को संबोधित करते हुए कहते है: 'वीर! सर्दारों के सर्दार ! -महाराज! वहु-जाति, क्यारियों के पुण्य-पत्र दल भरे बंशज हो-चेतन अमल अंश, हृदयाधिकारी रवि-कुल-मणि रघुनाथ के।।" यहाँ महाराजा जयसिंह के व्यक्तित्व को निखरते हुए, अपने कुल के गौरव का वास्ता दिलाते हुए अपने राष्ट्र के विकास और उन्नति साथ ही साथ एकता को सुदृढ़ करने के लिए कवि निराला द्वारा भटके भारतीयों के लिए जन आह्वान भी है। कवि निराला पूर्व में लोगों द्वारा किए गए अच्छे कार्यों को अपने ‘स्मृति' में सजोने एवं आज के जनमानस के मन में एक नयी चेतना का आह्वान करते हुए कहते है कि: 1. 'छत्रपति महाराज शिवाजी का पत्र' : निराला रचनावली भाग (1) पृष्ठ – 156 114

Loading...

Page Navigation
1 ... 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187