Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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हैं तो दूसरी ओर हनुमान का शक्ति-प्रदर्शन है विभीषण की दीनता और राज्य-लोलुपता है तो दूसरी ओर लक्ष्मण का अमोद्य तेज है।
निराला के आवेग पूर्ण काव्य में विस्तार अधिक है कवि का वस्तु-विधान विषयानुसार छोटा और बड़ा होता रहता है, अर्थात् कभी वे लघुचित्रों की उद्भावना करते हैं और कभी उनका चित्रफलक वस्तु के अनुसार विस्तृत और विषद् होता है कवि ने छनदों के वाचन में उतार-चढ़ाव की कला अद्भूत एवं विलक्षण थी। यहाँ महाकाव्योचित गरिमा को मण्डित करने का सफल प्रयास महाकवि ने किया है।
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