Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
View full book text
________________
निराला की महान अवधारणाओं की क्षमता के उदाहरण के रूप में और भी कई कविताएँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। उनकी तीन और प्रसिद्ध कविताएँ, 'सरोज-स्मृति', 'राम की शक्तिपूजा', और 'कुकुरमुत्ता' को यहाँ उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
आवेग-मूलक भयंकरता:
'राम की शक्ति-पूजा' कवि की एक उत्कृष्ट रचना है, इस रचना में उदात्त-शैली के वे पाँचों तत्व दिखाई देते हैं, जिसका प्रतिपादन लौंजाइनस ने अपने उदात्त-सिद्धान्त में किया है। इसमें एक ओर आकाश, समुद्र, मेघमंडक, वायु-वेग, दिगन्तव्यापी अन्धकार दुर्गम् पर्वत ज्योतिः प्रपात आदि भौतिक परिवेश के विराट बिम्ब हैं। और दूसरी ओर योग-विद्या सहसार आदि चकों के अलौकिक बिम्ब हैं। इस कविता में ओज का प्राधान्य है। तत्सम् शब्दों का प्रभावी प्रयोग है, किया पदों से मुक्त सघन शब्दावली का प्रयोग है तथा परिपुष्ट शब्द-योजना है।
"ये अश्रु राम के आते ही मन में विचार, उद्वेल हो उठा शक्ति-खेल-सागर अपार, हो श्वसित पवन-उनचास, पिता-पक्ष से तुमुल एकत्र वक्ष पर बहा वाष्प को उड़ा अतुल, शत घूर्णावर्त, तरंग-भंग उठते पहाड़ जल राशि-राशि जल पर चढ़ता खाता पहाड़ तोड़ता बन्ध-प्रतिसंघ धरा, हो स्फीत-वक्ष दिग्विजय-अर्थ प्रतिपल समर्थ बढता समक्ष ।"1
1. राम की शक्ति-पूजा : निराला रचनावली भाग (1) : द्वितीय अनामिका : पृष्ठ-332
58