Book Title: Lonjanas ke Tattva Siddhanta Adhar par Nirla Kavya ka Adhyayan
Author(s): Praveshkumar Sinh
Publisher: Ilahabad University
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नव-जागृति का आह्वान:
निराला जी ने अपनी कविता 'जागो फिर एक बार' के माध्यम से भारत के गौरवपूर्ण अतीत का स्मरण दिलाकर एवं महापुरूषों को प्रेरणा-स्रोत बनाकर, जन-मानस में नव-जागृति का आवेग भरकर, नई ऊर्जा के साथ राष्ट्र-निर्माण में अपना योगदान देने का आह्वान करते है। एवं नव-जागरण का शंखनाद करते है:
"जागो फिर एक बार समर में अमर का प्राण गान गाए महासिन्धु-से सिन्धु नद तीर-वासी! सैन्धव तुरंगों पर चतुरंग चमू संग
फाग का खेला रण बारहों महीनों में? शेरों की माँद में आया है आज स्यार।
प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि नवजागरण का आह्वान करता हैं कि हे सिन्धुतट के निवासियों अर्थात् भारतीयों! एक बार पुनः नई ऊर्जा के साथ राष्ट्र-निर्माण में एक फिरंगियों को खदेड़ बाहर करने का आह्वान करता है, निराला जी कुछ अतीत के दृष्टान्तों के माध्यम से यहाँ के जन-मानस को यह स्मरण दिलाना चाहते हैं कि उस चतुरंगिणी सेना को स्मरण करो जो घोड़ो पर
1. जागो फिर एक बार भाग (2) : परिमल : मतवाला साप्ताहिक कलकत्ता : पृ0 - 152