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अंग्रेजी - अध्ययन
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भविष्य में अच्छी कविता कर सकेगा । अपनी तरफ़ से हम इतना ही कहते हैं कि भाषा ज़रा वह और साफ़ करें और कुछ नये ढङ्ग की कविता में अभ्यास बढ़ावै; क्योंकि जैसे ढङ्ग की वह कविता है वैसी हिन्दी में बहुत अधिक और उत्तम से उत्तम हो चुकी हैं ।"
यह बतलाने की आवश्यकता नहीं कि इस " तबियतदार बालक " के विषय में गुप्तजी की भविष्यवाणी कितनी सत्य सिद्ध हुई । यह वात भी ध्यान देने योग्य है कि सत्यनारायण की कविता पं० श्रीधर पाठक ने " भारतमित्र " - सम्पादक के पास भेजी थी । सत्यनारायण पाठकजी की कविता के बड़े प्रेमी और उनके कृपा-पात्र थे ।
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द्विवेदीजी से परिचय
सन् १९०३ के अन्त में सत्यनारायण का परिचय आचार्य पं० महावीर प्रसादजी द्विवेदी से हुआ । द्विवेदीजी की एक चिट्ठी, जो उन्होंने सत्यनारायण को ३२।१०।०३ को भेजी थी, यहाँ उद्भुत की जाती है ।
JHANSI 30-10-03
DEAR BABOO SATYANARAYAN,
The frankness with which yeu have written your letter has immensely pleased me. If I have occasion to come to Agra I shall ask you to kindly come to see me at G. I. P. Ry. Agra city Booking office in Rawatpara. Your description of Hemant will appear in Saraswati either in December or January.
Yours Sincerely MAHAVIR PRASAD
इसके बाद ३० दिसम्बर सन् १९०३ को द्विवेदीजी ने एक कार्ड फिर अँगरेज़ी में भेजा था, जिसका तात्पर्य यह था कि पहली जनवरी