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पं० सत्यनारायण कविरत्न है।" चौथे ने कहा--"हम कैसे भूले । जब सावन आवते, तब सत्यनारायन 'अहा' कहिके “घिरि आउरी बदरिया कारी बरसन वारी" गाइबे करते । खेत मे बैठे कवित्त बनाइबे करते।"
पाँचवाँ बोला--"हम का कहै धाधूपुर को तो भाग ई फूट गयो । बड़ी साहिर (शायर) आदमी हो, ताई ते बाको नाम दूरि-दूरि फैलि गयौ।"
कायर कूर अनिष्ठा नारी चुगल मरौ काऊ जानी ना। अरु कौआ कुत्ता किरिमि गिजाई इनकी मौत बखानी ना ॥ मरिवौ जगह सराहै राजा साहिर सूर सती को।
रन देखी करन जती कौ ॥ सो महाराज बु तो साहिर आदमी रही ।" सत्यनारायण का चरित्र-चित्रण इससे अच्छा भला कौन कर सकता
है
* शायर कवि