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बाबा रघुवरदास की मृत्यु
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द्वादशी निश्चित हुई है। उस अवसर पर उनके सभी सज्जन प्रेमियो का कृपया यहाँ पधारना परमावश्यक है। यद्यपि उनकी स्थिति सब के साथ ही थी किन्तु फिर भी किसी जातीय रागद्वेष से उन्हे सर्वथा मुक्त समझना उचित है। इसी उद्देश्य को सामने रखते हुए सब भेदभाव को भूलकर यथासम्भव सब सज्जनो की सेवा मे निमन्त्रण भेजने का प्रयोजन है। आजकल ब्राह्मण जाति की शोचनीय दशा सब पर विदित है। उस पर भी परस्पर विरोध के कारण विप्र-वश की शक्ति का ह्रास प्रतिदिन होता जाता है। ऐसे ही विरोध के लक्षण, निमत्रण देते हुए, दुर्भाग्य से तोरे ग्राम मे मुझे लक्षित हुए है।
सर्व सम्मति से निश्चय हुआ है कि जिन सदाशय पचो की उपस्थिति मे, इस विद्रोह-बीज का आरोपण हुआ था, उन्ही के फिर सम्मेलन होने पर उन्ही की आज्ञानुसार यह विद्रोह-विष-वृक्ष समूल नष्ट किया जा सकता है। ऐसी ही आशा के प्यारे प्रकाश से उत्साहित होकर आप सब सज्जनो के चरण कमलो मे सादर निवेदन है कि आप यथा समय स्वय अथवा अपना कोई विश्वास-पात्र प्रतिनिधि भेजकर इन उपस्थित विघ्नबाधाओ को दूर करते हुए मेरे भाव और परिश्रम का यथोचित फल देकर कृतार्थ कीजिये। आशा है कि आप आज ४ बजे सायकाल के समय मेरी ही कुटी को पवित्र करने का कष्ट अगीकार करेंगे।
सबका दास
विनीत सत्यनारायण
अफ्रिका-प्रवासी भारतीयों के प्रति सहानुभूति जिस समय दक्षिण अफ्रिका मे सत्याग्रह-आन्दोलन चल रहा था उस समय सत्यनारायणजी ने 'एक भक्त' के नाम से निम्नलिखित कविता 'प्रताप' मे छपवाई थी