________________
[ यह कविता सत्यनारायण जी कविरत्न ने आचार्य पं० पद्मसिह जी शर्मा को लिख
स्वर्गीय सत्यनारायण कविरत्न की हस्त-लिपि माई नव पाती नोई वि मरायो माई हि पनि सिराती बड़े मो इतने रनमें सेमिली परस-पिपास कुल माया-जीवन-1 AM जो से सिमिले शेत में तास निरनारे। बसनरी निरखत विहार, सालप्रतिरो भेजी थी। यह यह वासरोगजनि मेरोजसानाही मित नतालिरहतमाही मेसोमवहाय विरल भाव का चित्रण
मांही किया है।] HT -षित समवेबस आशामर ने रोल्ममा कासी करा "तला" जा
21-12-
उन्ही के लिखित
उन्होने अपने स्व