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देशभक्त होरेशस श्रीमान् पं० महावीरप्रसाद द्विवेदी--"आज तक इस नाटक के जितने अनुवाद हमारे देखने मे आये है, उन सब से यह अच्छा है।" __ श्री बाबू श्यामसुन्दरदास--"यह अनुवाद बहुत ही उत्तम हुआ है। अब तक जितने अनुवाद इस नाटक के हुए है, उन सब से यह कही बढकर है । भवभूति की कविता का बहुत कुछ आनन्द इसमे आता है । इसमे कोई सन्देह नहीं कि उन विद्याथियो के लिये, जो सस्कृत नाटक अध्ययन किया चाहते है, यह अनुवाद बड़ा उपकारी होगा।" ___"सुधानिधि' पत्र-“यह निस्सकोच कहा जा सकता है कि यह अनुवाद जैसा सजीव है उससे पढने वाले इसे अनुवाद नही, बल्कि स्वतन्त्र रचना के समान समझेगे। 'उत्तर राम-चरित' करुणा रस प्रधान नाटक है और कविरत्नजी की ब्रजभाषा की कविता ऐसी उत्तम होती है कि वह करुणा रस को मानो साक्षात् कर देती है। यद्यपि मूल ग्रन्थ की उत्तमता और सरसता किसी भी अनुवाद मे आना कठिन है, तथापि यह रचना ऐसी उत्तम हुई है कि शायद ही कोई पाषाण हृदय हो जो इसे पढ, करणा परिप्लुत हो, रो न दे।"
इनके अतिरिक्त 'प्रताप', 'ब्राह्मण-सर्वस्व' आदि पत्रो ने भी इस पुस्तक की प्रशसा की थी।
देशभक्त होरेशस यह लार्ड मैकोले की पुस्तक का अनुवाद है । इस अनुवाद को समर्पित करते हुए सत्यनारायण ने लिखा था--
"देशभक्ति जिनके जीवन को लक्ष्य सुहावन । जिनपर निरभर मानव-कुल को भविष्य पावन ।। भेद-भाव तजि जो स्वदेश-रक्षा-रंग रॉचे ।
प्रिय आर्योचित धर्म कर्म के प्रेमी साँचे ॥ गहि सत्य न्याय को पक्ष जो, निज जीवन अरपन करत । तिन वीर नरन के चरन मे, भेट अकिंचन यह धरत ।।"