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पं० सत्यनारायण कविरत्न
साहित्यिक जीवन है । x x x वह अधखिला फूल आगरा-निवासी कविवर सत्यनारायण अब इस संसार मे नही, पर जिन लोगो ने साहित्यसम्मेलन के लखनऊ के अधिवेशन या दूसरे अधिवेशनो मे उसको देखा था, उसके भाषा प्रेम को मालूम किया था, उसके हृदय को अपने हृदय मे स्थान दिया था, वही कहेगा कि सत्यनारायण अपनी सादी आकृति में भी कैसा मनोहर व्यक्ति था ।"
पाठको ने सत्यनारायणजी के साहित्यिक जीवन का वृत्तान्त पढ ही लिया। अब अगले अध्याय मे उनकी “साहित्यिक मृत्यु' अर्थात् विवाह और गृह-जीवन का वर्णन पढिये।