Book Title: Kasaypahudam Part 07
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गा० २२]
उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए परिमाणपरूवणा केत्तिया ? असंखेजा । अणुक्क० पदे० केत्ति ? अणंता । सम्मत्त ०-सम्मामि० उक० पदेसवि० केत्ति० ? संखेज्जा । अणुक्क० केत्ति ? असंखेजा। चदुसंज०-पुरिस० उक्क० पदे० केत्ति० १ संखेजा । अणुक्क० पदे० केत्ति० १ अणंता ।
___$ ६३. आदेसेण णिरय० सत्तावीसं पयडीणमुक्क०-अणुक्क० पदे० केत्ति० ? असंखेजा। सम्मत्त० उक्क० पदे० के० ? संखेजा। अणुक्क० पदे० केत्ति ? असंखेजा। एवं पढमाए । विदियादि जाव सत्तमि त्ति अहावीसं पयडीणमुक्कस्स०अणुक्कस्स० केत्ति० ? असंखेज्जा ।
६४. तिरिक्खगईए तिरिक्खेसु छव्वीसं पयडीणं उक्क० पदे० केत्ति० १ असंखेज्जा । अणुक्क० केत्ति० १ अणंता। सम्मत्त० उक्क० पदे० केत्ति ? संखेज्जा । अणुक्क० केत्ति० ? असंखेज्जा। सम्मामि० उक्कस्साणुक० केत्ति ? असंखेजा।
उत्कृष्ट विभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । चार संज्वलन और पुरुषवेदकी उत्कृष्ट प्रदेश विभक्तिवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। तथा अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं।
विशेषार्थ -- ओघसे चार संज्वलन और पुरुषवेदकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति क्षपकश्रेणिमें होती है, इसलिए इनकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीवोंका परिमाण संख्यात कहा है। सम्यक्त्व
और सम्यग्मिथ्यात्वको उत्कृष्ट प्रदेशविभक्ति क्षायिक सम्यग्दर्शनकी प्राप्तिके समय होती है, इसलिए इनकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीवोंका परिमाण भी संख्यात कहा है। शेष कथना सुगम है।
६६३. आदेशसे नारकियोंमें सत्ताईस प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेशविक्तवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं । सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। इसी प्रकार पहली पृथिवीमें जानना चाहिए। दूसरीसे लेकर सातवीं पृथिवी तकके नारकियोंमें अट्ठाईस प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं।
विशेषार्थ- यहां सामान्यसे नारकियोंमें और पहली पृथिवीके नारकियोंमें कृतकृत्यवेदकसम्यग्दृष्टि उत्पन्न होते हैं और इनका अधिकसे अधिक परिमाण संख्यात होता है, इसलिए इनमें सम्यक्त्व प्रकृतिकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीवोंका परिमाण संख्यात कहा है। शेष कथन सुगम है। इसी प्रकार आगे भी अपने अपने परिमाण और दूसरी विशेषताओंको जान कर सब प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीवोंका परिणाम ले आना चाहिए। उल्लेखनीय विशेषता न होनेसे हम अलग अलग स्पष्टीकरण नहीं कर रहे हैं। ___६६४. तिर्थञ्चगतिमें तिर्यञ्चोंमें छब्बीस प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं ? अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं । सम्यक्त्वकी उत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिबाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेशविभक्तिवाले जीव कितने हैं ?
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