Book Title: Kasaypahudam Part 07
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गा० २२] उत्तरपयडिपदेसधिहत्तीए अप्पाबहुअपरूवणा
१०७ गुणत्तम्भुवगमादो । एसो च गुणगारो विगिदिगोवुच्छमवलंबिय परूविदो । परमत्थदो पुण तत्तो वि असंखे० गुणो पलिदो० असंखे०भागमेत्तो। एत्थ गुणगारो विगिदिगोवुच्छादो असंखेज्जगुणो, गुणसेढिगोवुच्छं मोत्तण तिस्से एत्थ पाहणियाभावादो।
* कोहे जहएणपदेससंतकम्मं विसेसाहियं ।
२१४. एत्थ पुग्विल्लसुत्तादो अणंताणुबंधिग्गहणमणुवट्टावेदव्वं । जइ वि अणंताणुबंधिचउक्कस्स समाणसामियत्तं तो वि पयडिविसेसवसेण विसेसाहियत्तं ण विरुज्झदे । सेसं सुगमं ।
ॐ मायाए जहण्णपदेससंतकम्मं विसेसाहिय । २१५. कारणमेत्थ सुगम, अणंतरपरूविदत्तादो। * लोभे जहएणपदेससतकम्म विसेसाहिय । . २१६. सुगममेदं मुत्तं, पयडिविसेसमेत्तकारणत्तादो। ॐ मिच्छत्तं जहणणपदेससंतकम्ममसंखेजगुणं ।
, २१७, कुदो अर्णताणुबंधिलोम-मिच्छताणं अगंताणुबंधीणं मिच्छत्तभंगो ति सामित्तसुत्तवलंभेण समाणसामियाणमण्णोण्णं पेक्खियूण असंखेज्जगुणहीणाहिय
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उपदेशबलसे असंख्यातगुणा स्वीकार किया गया है। यह गुणकार विकृतिगोपुच्छाका अवलम्बन लेकर कहा गया है। परमार्थसे तो उससे भी असंख्यातगुणा है जो पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। यहाँ पर गुणकार विकृतिगोपुच्छासे असंख्यात्तगुणा है, क्योंकि गुणश्रेणिगोपुच्छाको छोड़कर उसकी यहाँ पर प्रधानता नहीं है।
* उससे अनन्तानुबन्धी क्रोध जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है।
F२१४. यहाँ पर पहलेके सूत्रसे अनन्तानुबन्धी पदको ग्रहण कर उसकी अनुवृत्ति करनी चाहिए । यद्यपि अनन्तानुबन्धी चतुष्कका स्वामी समान है तो भी प्रकृतिविशेष होनेसे विशेष अधिकपना विरोधको नहीं प्राप्त होता । शेष कथन सुगम है।
* उससे अनन्तानुबन्धी मायामें जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है। ६२१५. यहाँ पर कारण सुगम है, क्योंकि उसका पहले कथन कर आये हैं। * उससे अनन्तानुबन्धी लोभमें जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है। ६११६. यह सूत्र सुगम है, क्योंकि विशेष अधिकका कारण प्रकृतिविशेष है । * उससे मिथ्यात्वमें जघन्य प्रदेशसत्कर्म असंख्यातगुणा है ।
$ २१७. शंका-अनन्तानुबन्धियोंका भङ्ग मिथ्यात्वके समान है इस प्रकारके स्वामित्व सूत्रके उपलब्ध होनेसे समान स्वामीवाले अनन्तानुबन्धी लोभ और मिथ्यात्वका द्रव्य एक दूसरेको देखते हुए असंख्यातगुणा हीन और असंख्यातगुणा अधिक कैसे बन सकता है ?
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