Book Title: Kasaypahudam Part 07
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गा० २२]
उत्तरपयडिपदेसविहत्तीए अप्पाबहुअपरूषणा । २२२. कुदो ? पयडिविसेसादो।
कोहे जहएणपदेससंतकम्मं विसेसाहिय । २२३. कुदो ? विस्ससादों। * मायाए जहएणपदेससंतकम्म पिसेसाहियं । २२४. कुदो ? सहावदो । सेसं सुगमं । 8 लोभे जहएणपदेससंतकम्मं विसेसाहियं ।
$ २२५. एदाणि सुत्ताणि सुगमाणि । केत्तियमेत्तेण १ आवलियाए असंखे०. भागपडिभागियपयडिविसेसमेतेण ।
* कोहसंजलणे जहएणपदेससंतकम्ममणंतगुणं ।
२२६. कुदो ? देसघादित्तेण सुलहपरिणामिकारणत्तादो । अदो चेव कधमसंखेजसमयपबदमेत्तपञ्चक्खाणलोभगुणसेढिसरूवजहण्णदव्वादो समयपबदस्स असंखे०भागपमाणकोहसंचलणजहण्णदव्यमणंतगुणं ति गासंकणिज्जं, समयपबदगुणगारादो देसघादिपदेसगुणगारस्स अणंतगुणत्तादो। जदि वि मुहुमणिगोदजहण्णउववादजोगेण बदसमयपबदमेत्तं कोधसंजलणजहण्णदव्वं होज्ज तो वि सन्मघाइयपच्चक्वाण
$ २२२. क्योंकि यह प्रकृति विशेष है। * उससे प्रत्याख्यान क्रोधमें जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । ६ २२३. क्योंकि ऐसा स्वभाव है। * उससे प्रत्याख्यान मायामें जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है। ६२२४. क्योंकि ऐसा स्वभाव है। शेष कथन सुगम है। * उससे प्रत्याख्यान लोभमें जघन्य प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है।
$ २२५. ये सूत्र सुगम हैं। कितना अधिक है ? आवलिके असंख्यातवें भागका भाग देने पर जो एक भाग लब्ध श्रावे उतना प्रत्याख्यान लोभमें विशेषका प्रमाण है।
* उससे क्रोध संज्वलनमें जघन्य प्रदेशसत्कर्म अनन्तगुणा है । 5 २२६. क्योंकि यह देशघाति है, इसलिये इस रूप परिणमानेका कारण सुलभ है।
शंका--क्रोधमें संज्वलन देशघाति है केवल इसलिये असंख्यात समयप्रबद्ध प्रमाण प्रत्याख्यान लोभके गुणश्रेणिरूप जघन्य द्रव्यसे समयप्रबद्धके असंख्यातवें भागप्रमाण क्रोधसंज्वलनका.जघन्य द्रव्य अनन्तगुणा कैसे है ?
समाधान-ऐसी आशंका करना ठीक नहीं है, क्योंकि समयप्रबद्धके गुणकारसे देशघाति प्रदेशोंका गुणकार अनन्तगुणा है। यद्यपि क्रोधसंज्वलनका जघन्य द्रव्य सूक्ष्म निगोदियाके जघन्य उपपाद योग द्वारा बांधे गये समयप्रबद्धप्रमाण होवे तो भी वह सर्वघाति प्रत्याख्यान
1. प्रा०प्रतौ 'विसे । विस्ससादो' इति पाठः । २. मा प्रतौ विसे । सहाघदो।' इति पाठः।
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