Book Title: Kasaypahudam Part 07
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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१५४ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[पदेसवित्ती ५ मिच्छ०-सोलसक०-पुरिस०-भय-दुगुंछ० भुज-अप्प०-अवहि० केत्तिया ? अणंता । अणंताणु०चउक० अवत्तव्य० पुरिस० अवहि० केत्तिया ? असंखेज्जा । सम्म०सम्मामि० पदचउक्कहिदजीवा केत्तिया १ असंखेज्जा । छण्णोक. भुज०-अप्प० केतिया १ अर्णता । अवहि० के० १ संखेज्जा । एवं तिरिक्खा० । णवरि छण्णोक० अवहि० णत्थि।
३१३. आदेसेण णेरइय० अहावीसं पयडीणं सवपदा केत्तिया १ असंखेज्जा । एवं सव्वणेरइय-सव्वपंचिंदियतिरिक्ख-मणुस्सअपज०-देवगइदेवा भवणादि जाव अवराइद ति। ___६३१४. मणुस्सेसु मिच्छ०-सोलसक०-भय-दुगुंछ० तिण्णि पदा सम्म.. सम्मामि० अप्प. सत्तणोक० भुज०-अप्प० केत्ति० १ असंखेजा । सम्म०-सम्मामि० भुज-अवहि-अवत्त० अणंताणु०चउक्क. अवत्त० पुरिस०-छण्णोक्क० अवहि. केत्तिया ? संखेज्जा। मणुसपज्जत्त-मणुसिणीसु सव्वहसिद्धीसु सव्वपयडीणं सव्वपदा केत्तिया ? संखेज्जा । एवं जाव अणाहारि ति ।
परिमाणाणुगमो समत्तो।
ओघसे मिथ्यात्व, सोलह कषाय, पुरुषवेद, भय और जुगुप्साकी भुजगार, अल्पतर और अवस्थितविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं । अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी अवक्तव्य और पुरुषवेदकी अवस्थितविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वके चार पदोंमें स्थित जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। छह नोकषायोंकी भुजगार
और अल्पतरविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। अवस्थितविभक्तिवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। इसी प्रकार सामान्य तिर्यश्चोंमें जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि छह नोकषायोंकी अवस्थितविभक्ति नहीं है ।
$३१३. आदेशसे नारकियोंमें अट्ठाईस प्रकृतियोंके सब पदवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। इसीप्रकार सब नारकी, सब पञ्चेन्द्रिय तियंञ्च, मनुष्य अपर्याप्त, देवगतिमें देव और भवनवासियोंसे लेकर अपराजित विमान तकके देवोंमें जानना चाहिए।
६३१४. मनुष्योंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय, भय और जुगुप्साके तीन पदवाले जीव, सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वके अल्पतर पदवाले जीव तथा सात नोकषायोंके भुजगार और अल्पतर पदवाले जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सम्यक्त्व और सग्यग्मिथ्यात्वके भुजगार, अवस्थित और अवक्तव्य पदवाले जीव, अनन्तानुबन्धीचतुष्कके अवक्तव्य पदवाले जीव तथा पुरुषवेद और छह नोकषायोंके अवस्थित पवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। मनुष्य पर्याप्त, मनुष्यनी और सर्वार्थसिद्धिके देवोंमें सब प्रकृतियोंके सब पदवाले जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। इसप्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए।
इसप्रकार परिमाणानुगम समाप्त हुआ। १. श्रा०प्रतौ 'सोनसका भय' इति पाठः ।
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