Book Title: Kasaypahudam Part 07
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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गा० २२] उत्तरपडिसपदेविहत्तीए बड्डीए अंतरं
- २०१ भागवडि० हाणी० ज० एगस०, उक्क० पलिदो० असंखे० भागो। अवहि० भोघं । इत्थि-णबुंस० असंखे०भागहाणी. जह० जहण्णहिदी, उक्क० उक्कस्सहिदी। हस्स-रइअरइ-सोगाणं असंखे०भागवड्डी० हाणी. जह० एगस०, उक्क० अंतोमु० । एवं नाव अणाहारि ति।
३७०. अंतराणुगमेण दुविहो णिद्दे सो-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छत्त० असंखे०भागवडी० ज० एगस०, उक्क० वेछावहिसागरो० सादिरेयाणि । असंखे० भागहा. जह• एगस०, उक्क० पलिदो० असंखे० भागो। असंखे०गुणहाणी. णत्थि अंतरं। अवहि. जह० एगस०, उक्क० असंखे० लोगा। सम्मत्त-सम्मामि० असंखे०भागवड्डी० जह० पलिदो० असंखे०भागो, उक्क. उघडपोग्गलपरियट्ट । असंखे०भागहाणी. जह० एगस०, उक्क. उवडपोग्गलपरियट्ट। असंखे०गुणवडिहाणि-अवत्त० जह० पलिदो० असंखे०भागो, उक्क० उघडपोग्गलपरिय। दोण्हमसंखे०गुणवडी० सम्मामि० असंखे०गुणहाणी. जह० अंतोमुहुत्तं । अणंतताणु०४ असंखे०भागवडि-हाणी. जह० एगसमओ, उक्क० वेछावहिसागरो. सादिरेयाणि । अवहि० जह• एगस०, उक० असंखेज्जा लोगा। संखे०भागवड्डि-संखे गुणवड्डिभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है । अवस्थितविभक्तिका भङ्ग ओषके समान है। स्त्रीवेद और नपुंसकवेदकी असंख्यातभागहानिका जघन्य काल जघन्य स्थितिप्रमाण है और उत्कृष्ट काल उत्कृष्ट स्थितिप्रमाण है। हास्य, रति, अरति और शोककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । इसी प्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए।
इस प्रकार काल समाप्त हुआ। ६ ३७०. अन्तरानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे मिथ्यात्वकी असंख्यातभागवृद्धिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर साधिक दो छयासठ सागर है। असंख्यातभागहानिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। असंख्यातगुणहानिका अन्तरकाल नहीं है। अवस्थितविभक्तिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर असंख्यात लोकप्रमाण है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातभागवृद्धिका जघन्य अन्तर पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है और उत्कृष्ट अन्तर उपाधं पुद्गल परिवर्तनप्रमाण है। असंख्यातभागहानिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर उपाधं पुद्गल परिवर्तनप्रमाण है। असंख्यातगुणवृद्धि, असंख्यातगुणहानि और अवव्यक्तविभक्तिका जघन्य अन्तर पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है और उत्कृष्ट अन्तर उपाधं पुद्गल परिवर्तनप्रमाण है। दोनोंकी असंख्यातगुणवृद्धिका और सम्यग्मिथ्यात्वकी असंख्यातगुणहानिका जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है । अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी असंख्यातभागवृद्धि और असंख्यातभागहानिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर साधिक दो छयासठ सागर है। अवस्थितविभक्तिका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट
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