Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 14
________________ सीख लेते हैं, वे कुशाग्र बुद्धि वाले होते हैं। सामान्य बुद्धि के बच्चे चौदह महीने में चलना-फिरना सीखते हैं। मूर्ख बच्चों को चलना-फिरना सीखने बाईस महीने से तीस महीने लग जाते हैं । चलना-फिरना और बोलनासीखने में कुछ फर्क है। कुशाग्र बुद्धि के बालक ११ महीने में और सामान्य बुद्धि के १६ महीने में एवं मूर्ख बालक जन्म के बाद ३४ महीनों से लेकर ५१ महीनों में बोलना सीखते हैं। यहाँ एक बात का विशेष उल्लेख करना चाहूँगा कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास शीघ्र होता है। मानसिक विकास की दृष्टि से लड़कियों की ग्रहण-शक्ति पहले विकसित हो जाती है। शारीरिक दृष्टि से यौन-सम्बन्धी परिपक्वता लड़कियों में लड़कों से एक वर्ष पूर्व आ जाती है। T प्रत्येक बालक अपनी शैशव - अवस्था में अपने-आप से प्यार करता है जबकि बाल्यावस्था में वह अपने माता-पिता के प्रति प्रेम दर्शाता है । बालक को अपनी मम्मी से ज्यादा प्यार होता है जबकि बालिका को अपने पिता से । किशोरावस्था में सहवर्गी प्रेम होता है। लड़के लड़कों से मैत्री रखते हैं और लड़कियाँ लड़कियों से । पर किशोरावस्था ढलते-ढलते, बालक अपनी चतुर्थ अवस्था में परवर्गी (अपोजिट - सैक्स) के प्रति आकर्षित होने लगता है, यानी लड़का लड़की के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति करता है और लड़की लड़के के प्रति । बालक की स्वाभाविक प्रवृत्तियों में अवरोध उत्पन्न करना तो उसे मानसिक रोग से ग्रस्त करना है। विकास का प्रवाह तो निरन्तर बहता रहना चाहिए। पर हाँ, जहाँ गाड़ी पटरी से नीचे उतरने की संभावना हो, अभिभावकों को प्रेम और निष्ठा के साथ अपने कर्त्तव्य निभाने चाहिए । बालक पर गर्भावस्था से लेकर तब तक ध्यान रखना चाहिए, जब तक परिपक्वता न आ जाए। हमें सदैव यह प्रयास करना चाहिए जिससे हमारे बच्चे का शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, नैतिक, चारित्रिक, सौन्दर्यात्मक और धार्मिक विकास हो । उसकी रुचि, स्मृति, चिन्तन, तर्क और निर्णय के विकास के लिए भी उसे सशक्त और सक्रिय बनाना व्यवहार और स्वभाव : व्यक्तित्व विकास का पहला आधार Jain Education International For Personal & Private Use Only ७ www.jainelibrary.org

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