Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 77
________________ लिए प्रयत्नशील होता है। वास्तव में जीवन-लक्ष्य हमारी अन्त:वृत्ति की ही प्रेरणा है। प्रेरक वृत्तियों के चलते ही व्यक्ति में कई तरह की आदतें भी पड़ जाती हैं। प्रेरक वृत्ति का काम व्यक्ति को किसी कार्य-विशेष को करने के लिए उत्साहित करना है। किसी कार्य को बार-बार करते रहने से उसकी आदत पड़ जाती है। थोड़ा समय गुजरने पर तो वह आदत जीवन की जड़ों में इस कदर पैठ जाती है कि वह एक प्रबल प्रेरक वृत्ति का रूपधारण कर लेती है। यदि कोई लड़की रोजाना सुबह उठते ही आईने में अपना चेहरा देखती है तो आदतवश किसी दिन आईना न मिलने पर वह तब तक बेचैन रहती है जब तक वह अपने चेहरे को आईने में न देख ले। यदि किसी बच्चे की आदत सिगरेट या शराब पीने की घर कर जाए, तो व्यक्ति के लिए यह प्रेरक वृत्ति बड़ीभयानक साबित होती है। कोई भी लड़का या व्यक्ति शुरू में तो इसलिए मद्यपान या मद्यव्यसन करता है ताकि वह अपने दमन का दर्द या असफलताओं की निराशा से छुटकारा पा सके। पर धीरे-धीरे उसका यह प्रयास उसकी आदत बन जाती है और वह आदत फिर उसकी मजबूरी! __ हमारे जीवन की जो सबसे महत्त्वपूर्ण वृत्ति है, वह है अभिरुचि। जिसकी जिस क्षेत्र या वस्तु के प्रति रुचि होती है, वह उसी के प्रति ज्यादा सक्रिय रहता है। रुचि की प्रगाढ़ता वास्तव में मन की एकाग्रता है। संभव है, किसी बच्चे के लिए गणित का विषय बड़ा भारभूत हो, परन्तु वहीं कोई दूसरा बच्चा गणित में ज्यादा रुचि होने के कारण उसमें बड़ा रस लेता है। वास्तव में अभिरुचि वह प्रेरक वृत्ति है जिसमें सुख का भाव रहता है। उसमें वांछित वस्तुको प्राप्त करने या उसके बारे में कुछ करने की ज्ञानजनित प्रवृत्ति छिपी रहती है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार हर बच्चे में अनुकूल और प्रतिकूल दोनों तरह की मनोवृत्तियाँ होती हैं। घरेलू वातावरण के साथ समायोजन हो जाने के कारण व्यक्ति, जाति, समाज, देश और धर्म के प्रति बच्चे के मन में कुछ-न-कुछ मनोवृत्ति तो रहती ही हैं। जिनके प्रति बच्चे की अनुकूल - - - - - ७० ---- कैसे करें व्यक्तित्व-विकास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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