Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 79
________________ तय होता है। कभी-कभी तो प्रेरक वृत्तियाँ मनुष्य को इतना अधिक उत्तेजित और आन्दोलित कर देती हैं कि वह साहसपूर्वक बड़ी-से-बड़ी जोखिम उठाने को तैयार हो जाता है। प्रेरक वृत्तियाँ हमें अपने काम के प्रति बड़ी तत्परता प्रदान करती हैं। भले ही कोई बच्चा साल भर मौज-मस्ती मनाता हो, पर परीक्षा का समय नजदीक आते ही प्रेरक वृत्तियाँ उसे इतनी अधिक प्रेरित करती हैं कि वह परीक्षा की तैयारी में रात-दिन एक कर देता है। प्रेरक वृत्तियों के कारण ही जहाँ व्यक्ति की सक्रियता सर्वतोभावेन समग्र होने लगती हैं, वहीं उसकी आपूर्ति न होने तक बेचैनी भी बरकरार रहती है। यद्यपि बेचैनी या उतावलेपन पर बच्चे को नियंत्रण करना चाहिए, मगर यह भी सच है कि बेचैनी व्यक्ति को उसकी सक्रियता से मुँह नहीं मोड़ने देती है। जिन्हें सही निर्देशन और अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है, उनमें प्रेरक वृत्तियों का विकास भी उतना ही सशक्त और परिपूर्ण होता है। मार्गदर्शन या उचित शिक्षा के अभाव में प्रेरक वृत्तियाँ तो स्वभावत: जगेंगी ही, परन्तु तब वे अनैतिक, असामाजिक या अव्यावहारिक भी हो सकती हैं। एक बात तय है कि असामाजिक प्रेरक वृत्तियाँ जहाँ स्वयं के लिए नुकसानदेह हैं, वहीं परिवार, पड़ोस और समाज के लिए भी अवांछित कदम हैं। 000 ७२ कैसे करें व्यक्तित्व-विकास Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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