Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 102
________________ साक्षी की आँख : श्री चन्द्रप्रभ जीवन-ज्योति से साक्षात्कार करवाती पुस्तक । जीवन के रहस्यों एवं सत्यों से परिचित करवाते आध्यात्मिक प्रवचनों का संकलन । आयार-सुत्तं : श्री चन्द्रप्रभ भगवान महावीर की दिव्यवाणी का प्रथम धर्म-शास्त्र । मूल, हिन्दी अनुवाद एवं प्रत्येक अध्याय पर समय-सापेक्ष विशिष्ट चिन्तन । पृष्ठ 240, मूल्य 30/प्रार्थना : श्री चन्द्रप्रभ भगवान् ऋषभदेव से लेकर महावीर तक के चौबीस तीर्थंकरों की प्रार्थना, भजन के साथ भक्तामर, पारस इकतीसा और गौतम इकतीसा का संकलन । पृष्ठ 70, मूल्य 7/महासति पट्ठान-सुत्त : श्री चन्द्रप्रभ भगवान बुद्ध द्वारा विपश्यना-साधना की मौलिक प्रस्तुति । मूल वाणी एवं हिन्दी-अनुवाद । आत्म-साधना में सहयोगी मार्गदर्शन । पृष्ठ 48, मूल्य 7/वर्ल्ड रिनाउन्ड जैन पिलग्रिमेजेज : रिवरेंस एण्ड आर्ट : ललितप्रभ सागर कला और श्रद्धा के क्षेत्र में विश्व-प्रसिद्ध जैन तीर्थों की रंगीन चित्रों के साथ नयनाभिराम प्रस्तुति । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुचर्चित ग्रंथ । अपने विदेशी मित्रों को उपहार-स्वरूप प्रदान करने के लिए अनुपम ग्रंथ । पृष्ठ 160, 300/ विशेष :- अपना पुस्तकालय अपने घर में बनाने के लिए फाउंडेशन ने एक अभिनव योजना बनाई है । इसके अन्तर्गत आपको सिर्फ एक बार ही फाउंडेशन को पन्द्रह सौ रुपये देना होगा, जिसके बदले में फाउंडेशन अपने यहाँ से प्रकाशित होने वाले प्रत्येक साहित्य को आपके पास आपके घर तक पहुँचाएगा और वह भी आजीवन । इस योजना के तहत एक और विशेष सुविधा आपको दी जा रही है कि इस योजना के सदस्य बनते ही आपको रजिस्टर्ड डाक से फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित सम्पूर्ण उपलब्ध साहित्य' नि:शुल्क प्राप्त होगा । साहित्य वही भेजा जा सकेगा जो उस समय स्टॉक में होगा। रजिस्ट्री चार्ज एक पुस्तक पर 20/- रुपये, न्यूनतम दो सौ रुपये का साहित्य मँगाने पर डाक व्यय संस्था द्वारा देय । धनराशि श्री जितयशाश्री फाउंडेशन कोलकाता के नाम पर बैंक-ड्राफ्ट या मनिआर्डर द्वारा भेजें । वी.पी.पी. से साहित्य भेजना शक्य नहीं होगा। आज ही लिखें और अपना ऑर्डर निम्न पते पर भेजें - जितयशा फाउंडेशन 9 सी-एस्प्लानेड रो ईस्ट बी-7, अनुकम्पा, द्वितीय रूम नं. 28, धर्मतल्ला मार्केट __ एम.आई. रोड कोलकाता-700069 जयपुर-302 001 (राज.) 3220-8725 2364737 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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