Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 100
________________ महागुहा की चेतना : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर संबोधि का प्रकाश आत्मसात् करने के लिए मुमुक्षुओं को दिया गया अमृत मार्गदर्शन । अध्यात्म की अमर रचना संबोधि-सूत्र' पर मानक प्रवचन । पृष्ठ 112, मूल्य 15/ध्यान का विज्ञान : श्री चन्द्रप्रभ ध्यान की सम्पूर्ण गहराइयों को प्रस्तुत करता एक समग्र ग्रन्थ । अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बहुचर्चित । पृष्ठ 124, मूल्य 25/न जन्म, न मृत्यु : श्री चन्द्रप्रभ मक्ति और अमरता की खोज में तत्पर अन्तर्दृष्टि । अष्टावक्र-गीता पर दिए गए अद्भुत, अनुभव-सिद्ध आध्यात्मिक प्रवचन । पूज्यश्री की श्रेष्ठ कृति। पृष्ठ 160, मूल्य 30/अब भारत को जगना होगा : श्री चन्द्रप्रभ उस मानव चेतना के जागरण का आह्वान जो आज कायर और नपुंसक बन बैठी है, भारतीय दृष्टि एवं मूल्यों को नये सिरे से समझने का नया उपक्रम । प्रबुद्ध पाठकों के लिए विशेष उपयोगी। पृष्ठ 150, मूल्य 30/झरै दसहूँ दिस मोती : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर धर्म, अध्यात्म और जीवन-सिद्धान्तों के बीच स्थापित किया जाने वाला एक अनूठा सामंजस्य । भाषा सरल, भाव गंभीर । जो उतरे, सो पावे । पृष्ठ 224, मूल्य 30/स्वयं से साक्षात्कार : श्री चन्द्रप्रभ मन-मस्तिष्क की ग्रन्थियों को खोलने के लिए ध्यान-शिविर में दिये गये अमृत प्रवचन । जीवन और जगत् से सीधा संवाद । पृष्ठ 140, मूल्य 20/धर्म, आखिर क्या है ? : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महावीर के सनातन संदेशों पर दिए गए अमृत-प्रवचन, जो हमें वर्तमान सन्दर्भो में जीवन जीने की कला प्रदान करते हैं। पृष्ठ 160, मूल्य 30/ज्योति कलश छलके : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर जीवन-मूल्यों को ऊपर उठाने वाली एक प्यारी पुस्तक । भगवान् महावीर के सूत्रों पर प्रवचन । पृष्ठ 160, मूल्य 30/सिवा प्रेम के : श्री चन्द्रप्रभ जिंदगी और जहान के रंग हजारों, पर सिवा प्रेम के कहीं क्या है ? प्रेम-पथ को प्रशस्त करती एक सुन्दर पुस्तक । पृष्ठ 102, मूल्य 10/सो परम महारस चाखै: श्री चन्द्रप्रभ आनन्दघन के अध्यात्म-रसिक पद आज भी गाए-गुनगुनाये जाते हैं, पर उन पर इतने बेहतरीन मौलिक प्रवचन आकंठ पीने जैसे हैं । पढ़िये, अंधेरे से प्रकाश में ले जाती इस पुस्तक को। पृष्ठ 134, मूल्य 25/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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