Book Title: Kaise kare Vyaktitva Vikas
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 84
________________ वंचित करे। बड़ों को चाहिए कि वे अपने बच्चों के प्रति वात्सल्यभरा व्यवहार करें और चरित्र - निर्माण के लिए उचित मार्ग-दर्शन भी प्रदान करें । बच्चों के समुचित चारित्रिक विकास के लिए पारिवारिक वातावरण और पारिवारिक सम्बन्धों का सौहार्द और सौजन्यपूर्ण होना भी आवश्यक है। यदि माता-पिता आपस में कलह करते हैं या अपने बच्चों को दोहरी दृष्टि से देखते हैं तो बच्चों के चरित्र पर इसका प्रतिकूल असर ही होगा। पारिवारिक वातावरण की प्रतिकूलताओं के कारण ही बच्चे में क्रोध, झूठ, चोरी, भय, पलायन, अपराध जैसे दुर्गुणों का प्रादुर्भाव हो जाता है। बच्चे के स्वस्थ चरित्र के लिए परिवार के सदस्यों में परस्पर सहयोग, प्रेम और अपनापन होना चाहिए । जहाँ परिवार का स्वस्थ- सौम्य वातावरण आवश्यक है, वहीं पड़ौसी का सभ्य होना भी प्रभावकारी है। परिवार का वातावरण कितना भी स्वस्थ क्यों न हो, दूषित पड़ौस उसकी चारित्रिकता को प्रभावित और कुण्ठित किए बिना नहीं रहता । शिक्षालय और मित्र - मण्डली का भी चारित्रिक विकास पर अच्छा और बुरा असर पड़ता है। बुद्धि एकान्त में विकसित होती है और चरित्र संग-साथ से। अच्छे शिक्षार्थी के लिए शिक्षकों का अच्छा होना भी अपरिहार्य है । शिक्षालय शिक्षा और ज्ञान-अर्जन करने का केन्द्र है और शिक्षक उन शिक्षाओं के प्रतिपादक । अभिभावकों को चाहिए कि वे अपने बच्चों को ऐसे स्कूल में प्रवेश दिलाएँ जिससे उनके बच्चों को चारित्रिक और नैतिक विकास का सही अवसर प्राप्त हो सके। अभिभावकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे ऐसे मित्रों के साथ खाना - खेलना न करें जिनकी प्रवृत्तियाँ दूषित हों। अच्छे चारित्रिक विकास के लिए अच्छे मित्रों का संसर्ग वांछनीय है । इसके साथ ही बच्चों को ऐसी पुस्तकें पढ़ने के लिए दी जानी चाहिए जो रोचक होने के साथ मानवीय भावनाओं को भी सिखाएँ । दूरदर्शन या चरित्र-निर्माण : श्रेष्ठ व्यक्तित्व की पूंजी Jain Education International For Personal & Private Use Only ७७ www.jainelibrary.org

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