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चाहिए जो उसमें अपराध प्रवृत्तियों को बढ़ावा दें। सबसे अच्छा तो यह रहता है कि माता-पिता, अभिभावक या शिक्षक किशोर तथा किशोरियों की समस्याओं को सामने रखते हुए उनके प्रति सोच-समझकर व्यवहार करें और उन्हें भावी जीवन में सफलता पाने के लिए यथोचित मार्गदर्शन भी प्रदान करें ।
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स्वास्थ्य, बौद्धिकता एवं आत्मविश्वास व्यक्तित्व के सबसे बेहतर आयाम हैं। जीवन में इनका पूर्णतया विकास हो, व्यक्ति को इसके लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
शिक्षा, संस्कार और अभ्यास द्वारा जन्मजात प्रवृत्तियों को भी वांछित दिशा की ओर परिवर्तित किया जा सकता है । इस प्रकार व्यक्तित्व के निर्माण एवं विकास में नैतिकता एवं सामाजिकता को बढ़ावा देने वाली प्रवृत्तियों को प्रमुखता दी जानी चाहिए। हम अपने व्यक्तित्व से दूसरों को प्रभावित करने का प्रयास करें, इसकी बजाय हमारा व्यक्तित्व ही ऐसा हो कि दूसरे सहजतया हमसे प्रभावित हों। हमारा व्यक्तित्व इतना सशक्त और सफल हो कि दूसरे लोग भी हमारे जैसा अपना व्यक्तित्व बनाने के लिए प्रेरित हों । पद्मश्री या पद्म विभूषण ही नहीं, हर व्यक्ति राष्ट्र-रत्न हो । हमारा सफल व्यक्तित्व ही वास्तव में हमारी समस्त सफलताओं का सूत्रधार है ।
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व्यक्तित्व विकास की मौलिक संभावनाएँ
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