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अन्तर्मुखी व्यक्तित्व का सम्बन्ध बाहर से भीतर की ओर मुड़ना है जबकि बहिर्मुखी व्यक्तित्व भीतर से बाहर की ओर। अन्तर्मुखी व्यक्ति अपनी जीवन-शक्ति को अन्दर की ओर प्रेरित करते हैं, वहीं बहिर्मुखी उसे बाहर की ओर। ___ अन्तर्मुखी लोग प्राय: कमबोलते हैं। उनकी प्रकृति भी कुछ शर्मिली होती है और भाव व विचारों में खोये रहना मानो उनका स्वभाव होता है। खेल की अपेक्षा इनकी रुचि पढ़ने-लिखने में ज्यादा होती है। दूसरे लोग उनसे प्रसन्न रहें, इस विषय में उनका कोई विशेष प्रयास नहीं रहता। इसीलिए वेभीड़-भाड़ में रहना पसन्द नहीं करते। व्यावहारिक जीवन की अपेक्षा वे सैद्धान्तिक जीवन की ओर ज्यादा उन्मुख होते हैं। अन्तर्मुखी व्यक्तित्व में जो सबसे बड़ी विशेषता पायी जाती है वह यह है कि इस गुण के धनी हर कार्य को बड़े सोच-समझकर करते हैं। एक अच्छे लेखक, दार्शनिक, कलाकार या वैज्ञानिक बनने के लिए व्यक्ति का अन्तर्मुखी व्यक्तित्व एक असाधारण भूमिका अदा कर सकता है।
बहिर्मुखी व्यक्ति जीवन-शक्ति को बाहर की ओर प्रेरित करते हैं। बहिर्मुखी लोगों में जहाँ क्रियाशीलता होती है, वहीं व्यावहारिकता भी पायी जाती है। आत्म-प्रदर्शन की भावना होने के कारण ऐसे व्यक्ति या बच्चे फैन्सी कपड़े पहनते हैं और बढ़ा-चढ़ा कर बातें भी करते हैं। वे आत्मप्रशंसा तो करते ही हैं, दूसरों से भी प्रशंसा कराना चाहते हैं। खेलना या मनोरंजन के अन्य कार्य-कलाप बहिर्मुखी व्यक्तित्व की पहचान है। नैतिक एवं चारित्रिक आदर्शों के प्रति इनमें कोई दृढ़ या सैद्धान्तिक आस्था नहीं होती। सामाजिक कार्यों को करने में उनकी दिलचस्पी जरूर होती है, पर इनका परम ध्येय तो यही होता है कि जीवन को आराम और आनंद से ऐश्वर्यपूर्वक बिताया जाए। बहिर्मुखी व्यक्तित्व ही प्राय: कर अच्छे वक्ता, राजनीतिक या समाज-सुधारक बनते हैं। ___ जीवन एवं व्यक्तित्व के आन्तरिक एवं बाह्य पहलुओं के बीच एक . सन्तुलन और समायोजन अपेक्षित है। व्यक्तित्व का केवल अन्तर्मुखी व्यक्तित्व विकास की मौलिक संभावनाएँ
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