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कारण ही मौहम्मद गौरी, महाराणा प्रताप, शिवाजी, नेपोलियन, स्वामी विवेकानन्द, सुभाषचन्द बोस आदि अपने-अपने क्षेत्र में विजयी और यशस्वी हुए। वास्तव में दृढ़ता हमारे व्यक्तित्व का ही एक अभिन्न गुण है। हमारी मानसिक दृढ़ता ही हममें निर्णय-शक्ति का विकास करती है। जीवन की सफलता में जिस इच्छा-शक्ति, आत्मविश्वास और साहस की जरूरत होती है, वह वास्तव में हमारी मानसिक दृढ़ता का ही परिणाम है। ____ यदि हम वर्गीकरण की दृष्टि से व्यक्तित्व का निरीक्षण करें तो मूल्यों की दृष्टि से ज्ञानात्मक, सौन्दर्यात्मक, आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक व्यक्तित्व होते हैं। यदि हम शारीरिक रचना की दृष्टि से विचार करें तो कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी होते हैं जो आरामप्रिय, सामाजिक और उन्माद-विषादयुक्त होते हैं। कुछ व्यक्तित्व सुडौल, तन्दुरुस्त, व्यवहारकुशल और सामाजिक क्रियाशील होते हैं। कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी होते हैं जो दुबले-पतले, स्वप्नदर्शी, भावुक, उत्साहहीन और एकान्तप्रिय होते हैं। ऐसे व्यक्तित्व भी होते हैं जिनमें सब प्रकार के गुणों का मिश्रण होता है।
स्वभाव की दृष्टि से भी व्यक्तित्व-भेद पाया जाता है। स्वभाव के अनुसार मुख्यत: तीन प्रकार के व्यक्तित्व होते हैं - (१) आरामदायक, भोजनप्रिय, प्रेमाभिलाषी (२) स्पष्टभाषी, कर्मठ, प्रतियोगी, शक्तिशाली, अधिकारप्रिय, साहसी,
उच्चभाषी (३) संवेदनशील, संकोचशील, एकान्तप्रिय, मन्दभाषी।
मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व पर विभिन्न दृष्टियों से अनुशीलन किया है। यदि हम विस्तार से बचना चाहें तो व्यक्तित्व के सार रूप में दो भेद किये जा सकते हैं। उनमें एक तो अन्तर्मुखी व्यक्तित्व है और दूसरा बहिर्मुखी व्यक्तित्व। व्यक्तित्व का यह वर्गीकरण वयस्कों पर तो पूरी तरह लागू होता ही है, बाल्य-जीवन में भी इसे लागू किया जा सकता है। दो-तीन वर्ष के बच्चे में भी अन्तर्मुखी व बहिर्मुखी व्यक्तित्व के लक्षण पाए जाते हैं।
--- कैसे करें व्यक्तित्व-विकास
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