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शरीर की लम्बाई-चौड़ाई, गठन, आवाज, चेहरे की अभिव्यक्ति, रंग, पोशाक आदि चीजें शामिल होती हैं। जिन व्यक्तियों में स्वास्थ्यकर और उच्चकोटि के शारीरिक गुण पाए जाते हैं, वे दूसरों को अपने व्यक्तित्व से प्रभावित करने में जल्दी सफल हो जाते हैं।
मानसिक गुणों के विकास के लिए ज्ञान, इच्छा एवं क्रिया के द्वारा बुद्धि, स्वभाव व चरित्र का निर्माण किया जाता है। व्यक्तित्व के सही विकास के लिए बुद्धि का सही विकास होना जरूरी है। मंद बुद्धि के व्यक्ति का व्यक्तित्व भी मंद ही होता है। बुद्धू क्या खाक प्रभावित करेगा! उत्कृष्ट व्यक्तित्व के लिए उत्कृष्ट बुद्धि ही पहला चरण है।
इच्छा मन का दूसरा भाग है। इच्छा से उद्वेग का निर्माण होता है और उद्वेग से स्वभाव का। स्वभाव के आधार पर ही व्यक्ति के चार रूप दिखाई देते हैं आशावादी, निराशावादी, चिड़चिड़े और स्थिर।
इच्छा की तरह क्रिया भी मन की ही एक प्रक्रिया है। क्रिया का स्वरूप चरित्र है। चारित्रिक-विकास व्यक्तित्व-विकास का अत्यन्त अनिवार्य चरण है। चरित्रहीन व्यक्ति के कार्य में न तो दृढ़ता होती है और न ही विश्वसनीयता। गांधीजी जैसे लोग अपने सच्चरित्र-व्यक्तित्व के बल पर ही विश्व द्वारा समादृत होते हैं। ___व्यक्तित्व के निर्माण में सामाजिक गुणों की उपलब्धि वास्तव में हमारे व्यक्तित्वको सर्वाधिक व्यावहारिक और प्रभावक बनाती है। चूंकि व्यक्ति का जन्म और व्यक्तित्व का विकास सामाजिक वातावरण के बीच होता है, इसलिए सामाजिक गुणों को आत्मसात् करना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। बहुत सारे लोग तो समाज से कटे-कटे ही रहते हैं तो कई मिलनसार भी होते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आक्रामक स्वभाव के होते हैं। वास्तव में हर व्यक्ति में सामाजिकता की अलग-अलग मात्रा होती है।
शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक गुणों को अर्जित कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। उनमें दृढ़ता होनी भी जरूरी है। लक्ष्य के प्रति दृढ़ता के
व्यक्तित्व विकास की मौलिक संभावनाएँ
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